नरसिंहपुर : कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने जिले के किसानों से नरवाई- फसल अवशेष/ पराली नहीं जलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और पर्यावरण प्रदूषण होता है। मिट्टी के सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। इसके विपरीत नरवाई को खेत में ही छोड़ देने से अनेक लाभ होते हैं। नरवाई- फसल अवशेष का प्रबंधन सतत खेती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसान नरवाई प्रबंधन जरुर करें। यह सतत खेती के लिए बहुत जरुरी है, इससे किसानों को अच्छी उपज मिलती है।
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान और अवशेष प्रबंधन से होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने बताया कि नरवाई नहीं जलाने से नरवाई धीरे- धीरे विघटित होकर मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ मिलाती है, जिससे मिट्टी की संरचना सुधरती है और जल धारण क्षमता बढ़ती है।
पोषक तत्वों का संरक्षण- नरवाई में मौजूद पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम मिट्टी में वापस मिल जाते हैं, जिससे अगली फसल के लिए उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है।
मिट्टी के कटाव में कमी- नरवाई मिट्टी की ऊपरी परत को ढंककर रखती है, जिससे हवा और पानी के कारण होने वाले मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है।
खरपतवार नियंत्रण- नरवाई की परत खरपतवार के बीजों को अंकुरित होने से रोकती है, जिससे खरपतवार नियंत्रण में मदद मिलती है।
मिट्टी के तापमान का नियमन- नरवाई मिट्टी के तापमान को स्थिर रखने में मदद करती है, जो पौधों की जड़ों के विकास के लिए अनुकूल होता है।
लाभकारी सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा- नरवाई मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य और पोषक तत्वों की उपलब्धता के लिए आवश्यक हैं।
खेत में ही छोड़ देना- किसान यदि संभव हो तो, कटाई के बाद नरवाई को खेत में ही छोड़ दें। यह धीरे-धीरे विघटित होकर मिट्टी में मिल जाएगी।
मल्चिंग- नरवाई को छोटे- छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में फैला दें। यह मिट्टी की नमी बनाए रखने और खरपतवार नियंत्रण में मदद करेगा।
कम्पोस्ट बनाना- नरवाई का उपयोग कम्पोस्ट बनाने के लिए किया जा सकता है, जो एक उत्कृष्ट जैविक खाद है।
फसल चक्र- अपनी फसल चक्र में ऐसी फसलों को शामिल करें, जो कम अवशेष छोड़ती हैं या जिनके अवशेष आसानी से प्रबंधित किए जा सकते हैं।