Home समाचार भाई जैसा हितैषी नहीं और भाई जैसा हत्यारा भी नहीं ?……………….

भाई जैसा हितैषी नहीं और भाई जैसा हत्यारा भी नहीं ?……………….

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‘‘सावधान रहें, सतर्क रहे’’ कहीं यह भाई आपके आस-पास तो नहीं ?

यह कहानी लोगों के मुंह जुबानी है जो कि एक सत्य घटना पर आधारित है। लोगों में तरह-तहर की चर्चाऐं चल रही है कि, एक भाई धार्मिक लक्ष्मण की तरह होते है जो पूरी आज्ञाकारी होते है और एक भाई ऐसे भी होते है जो भीभषण की तरह होते है। जो कि खुद के भाई के मरने की वजह बनते है।

इसी प्रकार एक परिवार ऐसा भी है जिसने अपने भाई को विवश कर दिया मरने के लिए। क्या कारण था कि, एक बार वह जहर खाया, दूसरी बार में कुंआ में कुदा और तीसरी बार में फांसी लगाया ? ऐसा क्या मुसिबत आ गिरी थी मरने वाले के ऊपर ? जो कि मरने के लिए विवश हो गया ? जानकार सूत्र बताते है कि, उन्हें जानबूझकर आग के हवाले कर दिया गया था ? जो कि समाज में बहुत ही ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा क्यों हुआ ? उस भाई ने मामले को रफा-दफा करने के लिए पुलिस विभाग को पैसा देकर उसे छुटकारा पाने का उपाय सोचा। सोचने वाली बात है कि, इसमें कामयाब भी हो गया। इस संबंध को लेकर लगातार प्रश्न उठ रहे है। क्या ऐसा कृत्य करना या कृत्य करने के लिए विवश कर देना, कहां तक सही है ? इस मामले को लेकर तरह-तरह की संभावना प्रकट हो रही है। क्योंकि पुलिस विभाग एक ऐसा विभाग है जिसमें ईमानदारों को फंसाने का कहानी बनाने में माहिर है और जो गलत, बेईमान, चोर और लफंगों को पैसा लेकर छोड़ देना इनकी पेशा है। इसी लिए कहा जाता है कि, पैसा से सब कुछ खरीदा जा सकता है पैसा न्याय और अन्याय नहीं पहचानता। पर ‘‘ईश्वर के यहां दिन देरी है, अंधेरी नही’’। क्योंकि एक न एक दिन सच्चाई उभरकर आयेगी और जिसकी श्रेय उन्हें भुगतना पड़ेगा।

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