रायपुर/CG : चुनावी माहौल में निर्विरोध निर्वाचन पर चर्चा तेज हो गई है। कई लोग इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं। यह मुद्दा राजनीतिक हलकों में भी गरमाया हुआ है। चुनावी समर में यदि किसी सीट हेतु एक ही उम्मीदवार होने पर भी यदि मतदाता के पास नन आॅफ द एबोव (इनमें से कोई नहीं) ‘‘नोटा’’ का विकल्प मौजूद है, तो यह सुनिश्चित करता है कि मतदाताओं के पास अपनी असहमति या असंतुष्टता को व्यक्त करने का एक तरीका है। इस संदर्भ में, यदि अधिकांश मतदाता नोटा का चयन करते हैं, तो यह संबंधित प्रत्याशी के निर्विरोध निर्वाचन को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि मतदाता उस प्रत्याशी को समर्थन नहीं दे रहे हैं ।
पीडब्ल्यूए की याचिा पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
पब्लिक वेलफेयर एसोसिएशन (पीडब्ल्यूए) ने राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर निर्विरोध निर्वाचन में नोटा का विकल्प देने की मांग की है, ताकि मतदाताओं के संविधान प्रदत्त अधिकार का पालन किया जा सके।