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नरसिंहपुर : फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में जागरूकता लाने के लिए कलेक्टर ने हरी झंडी दिखाकर किया रथ को रवाना……………..

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जिले के किसानों को नरवाई में आग लगाने से होने वाले नुकसान और प्रबंधन के बारे में बताया जायेगा

कलेक्टर की अध्यक्षता में नरवाई प्रबंधन विषय पर हुई कार्यशाला

नरसिंहपुर : कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जिले के किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रथ को रवाना किया। यह रथ जिले के विभिन्न ग्रामों में जाकर किसानों को नरवाई में आग लगाने से होने वाले नुकसान और इसके प्रबंधन के उपायों के बारे में जागरूक करेगा।

      कलेक्टर श्रीमती पटले की अध्यक्षता में कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर में नरवाई प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण/ कार्यशाला का आयोजन किया गया।

      कार्यशाला में उप संचालक कृषि श्री उमेश कटहरे ने वर्ष 2024- 25 में नरवाई प्रबंधन तकनीक अपनाकर नरवाई जलाने से मुक्त ग्राम बनाने के लिए बताया। उन्होंने बताया कि मप्र में नरवाई/ पराली जलाना एक बड़ी समस्या है, इससे वातावरण में प्रदूषण फैलता है। वातावरण एवं मृदा स्वास्थ के लिए इसकी रोकथाम किया जाना अत्यन्त आवश्यक हो जाता है। नरवाई जलाने से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है। साथ ही मृदा का कार्बनिक पदार्थ कम होने के साथ- साथ नरवाई जलाने से मृदा के लाभकारी सूक्ष्म जीव भी नष्ट हो रहे हैं। धान की कटाई के उपरांत नरवाई जलाने से गेंहूँ की बुवाई समय पर नहीं हो पाती, जिससे फसल पकने की अवस्था में तापमान बढ़ने से गेहूँ की फसल को अधिक तापमान से गुजरना पड़ता है और उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। नरवाई जलाने की घटनाओं को कम कर वायु प्रदूषण कम करना, मृदा में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाना, गेहूँ की उत्पादकता बढ़ाना और उत्पादन लागत कम कर कृषकों की आय को बढ़ाना है।

      इस संबंध में उप संचालक कृषि ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। इसके चलते खेत में केंचुए मर जाते हैं और लाभदायक जीवाणुओं की सक्रियता में भी कमी आती है, जिससे फसलों की पैदावार प्रभावित होती है। उन्होंने किसानों को फसल अवशेष जलाने के बजाय उसे खाद बनाने की सलाह दी। किसानों को सलाह दी गई कि वे फसल अवशेष को जुताई कर मिट्टी में मिलाएं और इससे नाडेप या वर्मी कंपोस्ट बनाएं। इससे खेत की जलधारण क्षमता बढ़ती है और उपजाऊ में सुधार होता है। उन्होंने यह भी बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार अब फसल कटाई के बाद नरवाई जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जाएगा। सभी किसानों से अपील की गई है कि वे पर्यावरण सुरक्षा और मृदा स्वास्थ्य के लिए नरवाई नहीं जलायें।

      जिले की प्रत्येक विकासखंड के दो ग्रामों का चयन किया गया है। जिले में नरवाई प्रबंधन के सुचारू क्रियान्वयन के लिए सहायक कृषि यंत्री नरसिंहपुर श्री यूबी सिंह, अकृअ गाडरवारा श्रीमती पूजा पासी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसके अलावा चयनित 12 ग्रामों में विकासखंड स्तरीय नोडल अधिकारी भी बनाये गये हैं। किसानों के बीच धान के क्षेत्रों में हैप्पी सीडर/ सुपर सीडर से चना की सीधी बुवाई को प्रचलित करना है। इसी प्रकार ग्रीष्मकालीन फसल वाले क्षेत्र में फसलों की बोनी हैप्पी सीडर/ सुपर सीडर से करना है।

      प्रशिक्षण प्रशिक्षण/ कार्यशाला में उप संचालक कृषि श्री उमेश कुमार कटहरे, प्रमुख वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर डॉ. विशाल मैश्राम, सहायक संचालक कृषि (गन्ना) डॉ. अभिषेक दुबे, सहायक कृषि यंत्री श्री यूबी सिंह और कृषि विभाग का मैदानी अमला मौजूद था।

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