एमसीबी : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई चिराग परियोजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के ग्रामीण आदिवासी परिवारों की आय बढ़ाना और पूरे साल पोषित आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। इस परियोजना को छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग ने वर्ल्ड बैंक और आईएफ़एडी (अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष) के सहयोग से आरंभ किया है। यह परियोजना स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के विकास और उनके कुशल उपयोग पर आधारित है। चिराग परियोजना का लक्ष्य छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाना और पोषण में सुधार करना है। इसके अंतर्गत 15 जिलों के 27 विकासखंडों के चिन्हित गांवों में आय और पोषण के अवसरों में सुधार लाने के लिए कार्य किया जा रहा है। परियोजना के तहत पोषण आधारित गतिविधियों को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने के लिए ”पोषण सखी” के रूप में स्थानीय महिलाओं का चयन किया गया है।
16 अक्टूबर 2024 बुधवार को विकासखंड भरतपुर के जनपद पंचायत के सभा कक्ष में पोषण सखी के रूप में चयनित महिलाओं के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में चिराग परियोजना के राज्य कार्यालय से श्री जगजीत मिंज ने पोषण सखियों को चिराग परियोजना, संतुलित आहार और कुपोषण से निपटने के उपायों की जानकारी दी।
इस आयोजन ने ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को सशक्त किया और उन्हें पोषण एवं कृषि के महत्वपूर्ण पहलुओं से जोड़ा। यह उन्हें अपने गांवों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है। चिराग परियोजना के तहत यह प्रशिक्षण न केवल महिलाओं को सशक्त बना रहा है, बल्कि आदिवासी समुदायों में स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इस मौके पर कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी गजराज सिंह चौहान, मास्टर ट्रेनर शैलेन्द्र कुमार, महिला बाल विकास विभाग से श्रीमती अंजली सोनी, पशु चिकित्सा विभाग से ओम प्रकाश पैकरा, मत्स्य विभाग से ऋषि कुमार सिंह, और उद्यानिकी विभाग से गोपाल कुमार कुर्रे भी उपस्थित रहे।