बैकुण्ठपुर मुख्यालय में राजस्व विभाग का बड़ा मामला खुलकर देखा जा रहा है। जानकार सूत्र बताते है कि, बाईसागर तालाब के मामले को लेकर राजस्व विभाग पैसे के बल पर बिक रहे है। बता दें कि, पूर्व में बाईसागर तालाब को सार्वजनिक निस्तार एवं जानवरों के पानी पीने व नहाने के लिए क्रेता के पूर्वजों ने निर्धारित किया था। जिसमें पूर्व राजस्व विभाग ने भू-माफियों और अधिकारियों को बेच दिया। जबकि नियम अनुसार निस्तार का तालाब किसी का भी हो, उसे न भाट सकते है न ही बेच सकते है। फिर भी राजस्व विभाग द्वारा इतनी बड़ी गलती कैसे हुई ?
बड़ी विडम्बना की बात है कि, पूर्व में धार्मिक विचारधारा के लोग समाज में होते थे। जो कि तालाब, नदी नालों और वृक्षों को बचा कर रखते थे। पर आज के युग में ऐसे लोग पैदा हो गये है कि, चंद पैसो के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते है। उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो कोरिया जिले का पुराना बाईसागर तालाब, जो कि रोड के किनारे था उसी रोड में कलेक्टर, माननीय न्यायाधीश, अधिकारी व लोग गुजरते थे, परंतु इस तालाब के ऊपर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
बैकुण्ठपुर की जनता पुछती है कि, निस्तार को कैसे विलुप्त कर दिया गया ? और तालाब में हरे-भरे वृक्षों को किसके निर्देश पर व क्यों काटा गया ? सोचने वाली बात है कि, ऐसे भी अधिकारी होते है जो कि, पैसे के खातीर तालाब को कृषि भूमि में परिवर्तित कर रहे है। जानकार सूत्र बताते है कि, भू-माफियों के समूह ने तालाब का बंदरबाट कर लिया है। साथ ही इसमें विशेष ध्यान दे कि, डायवर्सन व्यवसायिक है या आवासीय ?
अब देखना यह है कि, वर्तमान में योग्य और ज्ञान के सागर कलेक्टर महोदया जी द्वारा बाईसागर तालाब के मामले को लेकर कमेटी गठित की है उसमें जो अधिकारी सम्मिलित है वह सच्चाई को बता पायेंगे ? या भू-माफियों से लम्बी रकम लेकर तालाब के साक्ष्यों को विलुप्त करेंगे ? बता दें कि, इस समाचार के माध्यम से बैकुण्ठपुर की जनता को सभी सच्चाई मालूम है। वही आवेदक से इसकी सच्चाई का ब्यान लेने से अधिकारी/कर्मचारी विमुख है।
वही बैकुण्ठपुर की जनता को इन्तजार है कि, यदि जांच सामने आने के बाद उचित न्याय नहीं मिला तो उच्च न्यायालय का रास्ता अपनाना पड़ेगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी पूर्व के अधिकारी एवं वर्तमान अधिकारी होंगे। लोगों का कहना है कि, जब तक बाईसागर तालाब का जांच चल रहा है तब तक कार्य को रोका जाये।