प्राप्त जानकारी के अनुसार, वाड्रफनगर के रेंजर माईक लेकर फोटो डालते है उन लोगों को पैसे बांट रहे है जो कि नयी पीढ़ी के पत्रकार कहे जाते है। जानकार सूत्र बताते है कि, रेंजर उन लोगों को अपने निवास में ले जाकर चाय-नास्ता व पैसे देते है ताकि वह उनके बारे में कोई भी जानकारी न छापे। सोचने वाली बात है कि, वन विभागों में रेंजर ई कुबेर में लगे हुए है परंतु पैसे के आगे रेंजर लोग बोखलाऐं हुए है। क्या मजदूरों का हक खाने के लिए पैदा हुए है ?
बता दें कि, नौ माह से मजदूर मजदूरी के लिए भटक रहे है, जिसकी शिकायत वनमण्डाधिकारी को लिखित रूप में किया जा चुका है। फिर भी देखा जा रहा है कि, रेंजर का दिमाग व बुद्धिविवेक मजदूरों को पेमेंट करने को नहीं कर रहा है। यह मामला एक ही पंचायत में नहीं और कई पंचायतों में देखने को मिल रहा है। क्या वन विभाग अधिकारी डीएफओ कार्यवाही करने में असमर्थ है ?
जानकार सूत्र बताते है कि, डीएफओ और रेंजर दोनों मिलकर मजदूरी को खा रहे है। बताया जाता है कि, वन विभाग में शुरू से ही बंदरबांट होता आ रहा है तो मजदूरों की परेशानी कौन समझेगा ? अब देखना यह है कि, बलरामपुर कलेक्टर एवं सीसीएफ इसका भुगतान करा पायेंगे।