मनेन्द्रगढ़ एमसीबी के वन विभाग में रेंजरों की पदस्थापना को लेकर अफसरों की मनमानी का मामला सामने आया है। जानकार सूत्र बताते है कि, डिप्टी रेंजर रघुराज सिंह द्वारा पैसा देकर रेंजर के पद पर पदस्थापना हुए है। लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि, अनुभवविहीन रेंजर को पदभार कैसे दिया गया ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्व से ही कोई भी रेंजर स्थाई नहीं रहा ऐसा क्यों ? चर्चा का विषय है कि, पूर्व में रेंजर द्वारा लाखों का घोटाला भी किया जा चुका है क्या वन मण्डलाधिकारी विभाग द्वारा उस रेंजर से वसूला गया ? इसी प्रकार बताया जाता है कि, पूर्व में केल्हारी रेंज आॅफिस में दो रेंजर कैसे देखे गये ? उसी रेंज आॅफिस में इन्द्रभान पटेल भी देखा गया और रामसागर कुर्रे को भी रेंजर के पद पर देखा गया, परंतु एक रेंज में दो रेंजर कैसे देखे गये ? जबकि इन्द्रभान पटेल पूर्व से ही डिप्टी रेंजर है। देखने वाली बात है कि, डिप्टी रेंजर वर्षो से एक ही स्थान बहरासी पर कैसे कार्य कर रहे है ? ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर डिप्टी रेंजरों से अफसरों को ऐसा कौन.सा लाभ मिल रहा हैए जिसके चलते ये अब तक जमे हुए हैं।
जानकार सूत्र बताते है कि, जितने भी डिप्टी रेंजर है वह सभी ऊपर तक पैसा पहुंचाते है। इसलिए पद पर जमे हुए है। बता दें कि, यह वन विभाग की ही देन है जो कि नये-नये पत्रकारों को जन्म दे रहे है। क्योंकि जब एक शराबी को दो ढक्कन शराब पीला दिया जाता है तो उस शराबी को दो ढक्कन से मन नहीं भरता। उसी प्रकार पत्रकारों को एक जगह से पैसा मिल जाये तो वह बार-बार पैसा वसूलते है। इसी प्रकार डिप्टी रेंजरों का हाल है। वन विभाग में काम कम है पर पैसा ज्यादा है। आज देखा जाये तो डिप्टी रेंजरों का मकान नहीं महल देखा जा सकता है।
केल्हारी में डिप्टी रेंजर रघुराज सिंह किसके नेतृत्व में रेंजरी का काम देखेंगे ? क्योंकि जानकार सूत्र बताते है रघुराज सिंह अपने डिविजन से कई दिन-दिन तक अपने रेंज आॅफिस से गोल रहते है और अपने रेंज में बैठते भी नहीं है।
आपको बता दें कि वन विभाग केल्हारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए है और विभागों में भी हड़कंप मचा हुआ है साथ ही लोगों द्वारा चर्चाऐं भी चल रही है। परंतु इस भ्रष्टाचार के खिलाफ न कोई जांच हो रही है न ही कोई कार्यवाही किया जा रहा है। जिससे विभाग के रेंजर और डिप्टी रेंजर के हौसले और भी बुंलद हो गये है। नतीजन प्राप्त जानकारी के अनुसार, डिप्टी रेंजर को पैसे के बल पर रेंजर का कार्यभार सौंपा जा रहा है।