बैकुण्ठपुर मुख्यालय के पी.एच.ई. (लोक स्वास्थ्य यांत्रिक) कार्यालय खण्ड-बैकुण्ठपुर कार्यालय है या मदशाला ? बताया जा रहा है कि, पी.एच.ई. कार्यालय का अधिकारी अपनी पूरी लाईफ बैकुण्ठपुर के पी.एच.ई. में शराब पिकर बिता दिया। जानकार सूत्र बताते है कि, विभाग द्वारा एक प्यून रखा गया है वह शराबियों के लिए शराब लाने का कार्य करता है। जिसको शासन की दर पर लगभग दस-बारह हजार रूपये मिलते है। इनका रोज का पेशा बन गया है, शाम को दारू लाकर पिना और पिलाना है।
वहीं लोगों में चर्चा है कि, कार्यपालन अभियंता अधिकारी भी साथ देते है क्योंकि शराबी के पास ई. का पूरा जानकारी होने के कारण, ये फर्जी बिल बनाते है और फर्जीवाड़ा करते है। इसलिए ई. भी शांत रहते है। जानकार सूत्र बताते है कि, एक बार नयाब तहसीलदार भी मौके पर पहुंच गये थे जिन्होनंे शराबी को दारू पिते हुए देखा और देखने के बाद उसको घर पहंुचाने के लिए कार लगाये थे। तो शराबी बार-बार बोलता रहा कि, साहब मैं क्या गलत किया हूँ। इसके बावजूद भी नयाब तहसीलदार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया गया, क्यों ? बताया जाता है कि, ये शराबी अपने घर पर दारू के नशे में पूरे कपड़े उतार कर नाचता है यहां तक कि, आॅफिस में शराब के नशे में लेटरिंग भी कर लेता है और प्यून साफ करता है। क्या इस संबंध में श्रीमान् कोरिया कलेक्टर महोदय जी एवं बैकुण्ठपुर एस.डी.एम. को यह वारदात नहीं मालूम ?
जानकार सूत्र बताते है पी.एच.ई. में नये-नये ठेकेदारों को काम दिया गया है जिनको ठेकेदारी का कार्य दिया गया है ये ठेकेदार अनभिज्ञ है। सोचने वाली बात है कि, लगभग 25-30 वर्ष के लड़कों को ठेकेदारी का अनुभव है क्या ? केवल ई. और एस.डी.ओ. को कमिशन मिलने से मतलब है इनका कार्य बिल निकलने तक सही दिखना चाहिए। बाद में ये खराब हो जाये इसका कोई ख्याल नहीं रखता। क्योंकि अधिकारी लोग केवल अपने कमिशन का ख्याल रखते है और नये पीढ़ी के पत्रकारों को पैसा बांटकर मंुह बंद रखते है।
पूर्व में इस शराबी को दूसरे जिले में भी स्थानांतरण हो चुका था परंतु ये व्यक्ति इतना चापलूस व चलाक किश्म का व्यक्ति है ये सभी को अपने काबू में कर लेता है। जानकार सूत्र बताते है कि, इसका रिटायर्डमेंट का समय आ चुका है उससे पहले छत्तीसगढ़ शासन को वापसी सर्विस करने का भी आवेदन दिया है। ऐसे शराबियों को छत्तीसगढ़ पुनः नियुक्ति करता है ये बड़ी शर्म की बात है। ऐसे कर्मचारी को पद से हटाना ही उचित है, नही तो बैकुण्ठपुर प्रशासन का अपमान ही कहा जायेगा। क्योंकि बैकुण्ठपुर प्रशासन कार्यवाही करने में नाकाम है। ये हमारा कहना नहीं है ये वीडियों साबित कर रहा है। आज ऐसे लोगों के कारण हमारा छत्तीसगढ़ बर्बादी के नजदीक पहुंच चुका है।