बैकुण्ठपुर/एम.सी.बी. में एस.ई.सी.एल. के कर्मचारियों का संख्या कम हो गया है। वही एस.ई.सी.एल. के लाखों क्वार्टर बने हुए है, क्वार्टरों में कुछ कर्मचारी अभी-भी है और कुछ रिटायर्ड हो चुके है। बताया जाता है कि, कुछ लोग रिटायर्ड होने के बाद भी पत्रकारिता की धौस में जमे हुए है और कुछ बाहरी लोग बंद क्वार्टरों का ताला तोड़-तोड़कर घुस रहे है। क्योंकि ये लोग एस.ई.सी.एल. महाप्रबंधक एवं सहायक प्रबंधक के सेय पर बाहरी लोग घुसे हुए है।
मिली जानकारी के अनुसार, ये लोग क्वार्टरों को अन्य लोगों को पैसे के बल पर बेच रहे है क्योंकि बिजली, पानी एवं अन्य चीजें निःशुल्क व्यवस्था मिल रही है। बताया जाता है कि, कुछ लोग रिटायर्ड हो चुके है परंतु उनके परिवार वाले पत्रकारिता का रूतबा दिखा रहे है। ऐसा कोई राज्य नहीं बचा जो कि एस.ई.सी.एल. के क्वार्टरों में कब्जा न किया हो। लोगों का कहना है कि, पैसों के बल पर एस.ई.सी.एल. की जमीनों पर कब्जा करके बेच रहे है। यह भी जानकारी मिला है कि, एस.ई.सी.एल. के क्वार्टरों में गाय-भैस तक बांधी जा रही है। ये तो निश्चित दिख रहा है कि, ये एस.ई.सी.एल. महाप्रबंधक की लापरवाही मालूम पड़ती है। कुछ लोग तो बहुत बड़े-बड़े बंगले में पत्रकारिता का बोर्ड लगाकर एस.ई.सी.एल. में दबाव बनाये हुए है। यहां तक कि, महाप्रबंधक ऐसे लोगों का खर्चे भी बांधे हुए है। क्या एस.ई.सी.एल. महाप्रबंधक को अपनी कमियां मालूम पड़ रही है ? क्या महाप्रबंधक किसी के दबाव में है या पैसे का खेल है ? अगर ऐसा नहीं है तो क्वार्टरों को खाली करवाना चाहिए।
बताया जाता है कि, बाहरी लोगों के कब्जा से एस.ई.सी.एल. को महीने का लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है। लोगों का कहना है कि, एक समाचार पत्र का संवादाता एस.ई.सी.एल. के क्वार्टरों पर कब्जा करके ऐसे मालूम पड़ता है जैसे कि, कहीं का राजा-महाराजा या वी.आई.पी. व्यक्ति हो। महाप्रबंधक को चाहिए कि, जितने भी खाली क्वार्टर है जो अपने काम में नहीं आ रहे है उनको जिस विभाग की जमीन है उस विभाग को जमीन वापस कर देना चाहिए, परंतु महाप्रबंधक अपना पद का उपयोग क्यों नहीं करना चाह रहे है ? इससे मालूम पड़ता है कि, महाप्रबंधकों की लापरवाही के कारण एस.ई.सी.एल. क्वार्टरों या जिस विभाग की जमीन हो उस जमीन को लोगों में कब्जा दिलाने में सहमति दे रहे है। इसकी जानकारी जांच आने पर विस्तार से प्रकाशित किया जायेगा।