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बैकुण्ठपुर/एम.सी.बी. : पेड़ से गिरा हुआ पक्षी और समाज से भागा हुआ व्यक्ति…………….

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बैकुण्ठपुर/एम.सी.बी. में कुछ ऐसी महिलाऐं बाहर से आकर बसी हुई है जो कि एक कहावत है कि, ‘‘पेड़ से गिरा हुआ पक्षी और समाज से भागा हुआ व्यक्ति’’ जैसे- किसी भी पक्षी को इंसान पाल लेता है उस पक्षी को पक्षी के समाज अपनाते नही है उसी प्रकार कुछ महिलाऐं अपनी जात से भागकर दूसरे जात में जाती है तो फिर उनके समाज वाले नहीं अपनाते। लोगों का कहना है कि, ये ऐसी महिलाऐं जात के लिए धब्बा होती है। जो कि दूसरे को देखकर अपने राज्य को छोड़कर छत्तीसगढ़ राज्य में पत्रकारिता के नाम पर दबाव बनाने लगे हुए है। बताया जाता है कि, इन महिलाओं द्वारा अधिकारियों पर धौस जमाने लगे है। वही महिलाऐं मेकप करके अधिकारियों के सामने पहुंचते है तो कुछ नयी पीढ़ी के अधिकारी मोहित होकर पैसा दे देते है और कुछ अच्छे विचारधारा के अनुभवि अधिकारी इस बात पर ध्यान नहीं देते।

अभी-अभी पत्रकारिता तो ऐसी हो गयी है जैसे एक कहावत है ‘‘राम तेरी गंगा मैली हो गयी’’। जैसे- चोर, डकैत, हत्यारा एवं अन्य सभी भांति के लोग उस गंगा में स्नान करते है। उसी प्रकार पत्रकारिता भी उसी लिहाजे में चल रही है। लोगों का कहना है कि, जो महिलाऐं भागकर अन्य समाज में चली जाती है वह महिलाऐं समाज कों मुंह दिखाने लायक नहीं रहती। किसी भी व्यक्ति का जिस समाज से हड्डी और मास से पूरा बदन बना हा,े वह केवल अपनी विचारधारा को परिवर्तन करते है समाज को नहीं।

कोई भी व्यक्ति सनातन धर्म, ईस्लाम धर्म या इसाई धर्म धारण किया हो, परंतु जिस कोक से जन्म लिया हो रिश्ता उसी खुन से बनता है। केवल विचारधारा का परिवर्तन होता है। ऐसे महिलाऐं जो धर्म परिवर्तन के बाद भी समाज को गंदगी फैलाने में लगे हुए है ऐसी महिलाऐं पत्रकारिता में प्रवेश हो चुके है। जिसको कोई नहीं अपनाता हो, वह पत्रकारिता में संलिप्त हो जाते है।

मिली जानकारी के अनुसार, कुछ पत्रकार भी पत्रकारिता की धौस देकर सूचना के अधिकारों का उपयोग करके पैसा वसूलने लगे है। वही अपने बच्चो के नाम बेरोजगारी भत्ता का भी लाभ उठाने लगे है इनका यह मेन काम है। बताया जाता है कि, किसी भी व्यक्ति का शरीर उनसे टच हो जाता है तो उस व्यक्ति से हजारों रूपये वसूलते है। ये लोग पत्रकारिता को व्यापार ही बना लिये है। ऐसे पत्रकार संगठनों को चरित्रहिनों पर पत्रकारिता संघ को परित्याग कर देना चाहिए। पत्रकारिता एक समाज की गंदगी का उदाहरण दे रहा है। जैसे- लोग कपड़े बदलते है वैसे ही समाचार पत्रों को भी बदल-बदल कर नये-नये शीर्षकों के नाम से लाते है। वे इसी तरह से पत्रकारिता चला रहे है।

बताया जाता है कि, कुछ लोग तो अपने-अपने नाम से ही वेबसाइड बनवाकर अधिकारियों से पैसा वसूलने का धंधा चालू कर लिये है उनको पैसा न देें तो उसके खिलाफ उल-जलूल समाचार डाल देते है जबकि समाचार लिखना भी नहीं जानते। समाचार भी किसी और लोगों से बनवाते है। ऐसे लोगों से अधिकारी भी तंग आ चुके है, क्योंकि उनको रोज पैसा चाहिए। पैसा नहीं दिये तो उसके खिलाफ में समाचार बनना निश्चित हो जाता है। क्या ऐसे पत्रकारों जो संघ का संगठन बनाकर चल रहे है और वही संगठन वाले ऐसे लोगों को जो समाज से भागे हुए है। जो कि अन्य जाति में मिलकर अधिकारियों के ऊपर पत्रकारिता को लेकर दोहन कर रहे है उस महिलाओं को क्या पत्रकारिता के सभी संगठन उसका बहिष्कार करेंगे ? नहीं करते तो इंसान पक्षी से भी बेहत है। जबकि पक्षी ऐसे पक्षी का परित्याग करता है। ऐसे वेबसाइड जो समाचार के नाम पर व्यापार बना हुआ है उस समाचार वालों के वेबसाइडों को दिल्ली भेजा गया है।

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