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बैकुण्ठपुर : श्रीमान् आयुक्त के द्वारा बैकुण्ठपुर एस.डी.एम. को मौखिक रूप से पटवारी बालमिक मिश्रा को हटाने का निर्देश……………….

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बैकुण्ठपुर मुख्यालय के एस.डी.एम. को श्रीमान् आयुक्त संभाग अम्बिकापुर द्वारा मौखिक रूप से पटवारी बालमिक मिश्रा को हटाने का निर्देशित किया है। बताया जाता है कि, फर्जी काम के जानकार, जमीनों की हेरा-फेरी, जिसकी जमीन में विवाद न हो उसकी जमीन में विवाद कराने वाले बालमिक मिश्रा का जोरो से चर्चा चल रही है। जो कि पूर्व में एक व्यक्ति शिवहरे जमीन की हेरा-फेरी करने के मामले को लेकर वशिष्ठ टाइम्स समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था उस समाचार पत्र को पढ़कर राज्यपाल दिनेश नंनद ने आदेश दिया था उस आदेश के आधार पर सरगुजा संभाग से कांकेर बस्तर स्थानांतरण किया गया था। उसके बावजूद भी पटवारी अपने आदत से बाज नहीं आये।

बताया जाता है कि, आर.आई. व पटवारी के पास कोई भी व्यक्ति दस्तखत करवाने जाते है तो बिना पैसे के दस्तखत नहीं करते है। जानकार सूत्र बताते है कि, पटवारी का लड़का एवं उनके साथी आसामाजिकतत्वों का संगठन बनाये हुए है वह गुडें टाईप के है। जिनका काम ही केवल जमीनों को कम दामों में खरीदना व उच्च दामों में बेचना है। बताया जाता है कि, पटवारी क्षेत्र के एक व्यक्ति तो ऐसा है जिसके पास कई जमीनों की रजिस्ट्रियां है। यह जांच का विषय है कि, इनके पास आय से ज्यादा सम्पत्ति कहां से आयी ?

जानकार सूत्र बताते है कि, पूर्व में यू.एस.राम के चापलूस द्वारा जमानों में बहुत हेरा-फेरी किया गया। इस गैंग में कोई भी समाज का अच्छुता नहीं रहा। यहां तक कि, सरकारी कर्मचारी भी इसमें संलिप्ति है। क्या पूरा सहयोग प्रशासन से मिल रहा है ? बताया जा रहा है कि, अशोक विश्वकर्मा एवं शर्मा द्वारा महलपारा में कुछ ही दिनों में आरा मशीन से लकड़ियों को काट कर भर लिया है। आस-पास के जितने भी हरे-भरे पेड़ है सभी को 500-600 रूपये में खरीदता है। क्योंकि बिहारी द्वारा पैसा बांट-बांट कर सरकारी कर्मचारियों पर हावी हो चुके है। इसके सामने पूराना आरा मिल भी फेल हो चुका है। जबकि कुछ लोगों के सामने ही अशोक विश्वकर्मा व उसके लड़के द्वारा पूराने मार्गदर्शन रोड का हर्रा पेड़ काटते देखा गया है और देवा यादव द्वारा जे.सी.बी. से जड़ निकाला गया। परंतु कोरिया प्रशासन मौन धारण करके बैठा रहा और आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। यहां तक कि, अब उस जमीन पर प्लाटिंग का कार्य चालू हो रहा है। क्या काॅलोनाइजर एक्ट के अन्तर्गत नगर पालिका, नगर निवेश, प्रशासन एवं अन्य स्थानों से अनुमति ली गयी है नहीं लिया गया है तो प्लाटिंग कैसे ? क्या काॅलोनाइजर के अन्तर्गत सम्पूर्ण कागजात के बिना प्लाटिंग असंभव एवं जमीन का डायवर्सन होना भी जरूरी है।

बताया जाता है कि, आज पटवारी करोड़ो रूपये का मालिक बना हुआ है। उन्होनें कितनी जमीन अपने नाम, बच्चो के नाम व परिवार के नाम खरीदा है क्या राजस्व विभाग को इसकी जानकारी दिया है ? अगर नहीं दिया है तो प्रशासन इसकी जांच कराये और परिवार के पास कितनी सम्पत्ति है यह भी जांच करायें। अब देखना यह है कि, एस.डी.एम. महोदया आयुक्त के मौखिक आदेश पर कितना अमल होता है या नहीं।

 

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