Home बैकुण्ठपुर मुख्यालय बैकुण्ठपुर : जल संसाधन विभाग बना फर्जीवाड़ों का अड्डा ?……………

बैकुण्ठपुर : जल संसाधन विभाग बना फर्जीवाड़ों का अड्डा ?……………

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बैकुण्ठपुर मुख्यालय में जल संसाधन विभाग से फर्जी बिल लगाकर पैसो की हेरा-फेरी किया जा रहा है। जानकार सूत्र बताते है कि, बाबा पटेल, स्वामीनाथ पटेल और अन्य दो-तीन व्यक्ति है। जिनके द्वारा फर्जी बिल लगाकर पैसे निकाला जा रहा है। लोगों में चर्चा है कि, मनरेगा में स्वामीनाथ पटेल द्वारा मणीशंकर चेरवा के परिवारों से अपने घर का काम करवा रहा है और मनरेगा की हाजरी भरी जाती है। क्या बैकुण्ठपुर ई. ए.टोप्पो एवं अन्य अधिकारी फर्जीवाड़ों की कर्जा खाए हुए है या किसी दबाव में है ? जानकार सूत्र बताते है कि, स्वामीनाथ पटेल के यहां जो मकान बना हुआ है उसमें हत्था बने हुए है वे सभी मनरेगा के लेबरों द्वारा खड़ा करावाया गया है। जिनकी भुगतान मनरेगा शासकीय राशि से की जाती थी।

जानकार सूत्र बताते है कि, 50 प्रतिशत कमिशन में बिल बनाकर पैसा निकाला जा रहा है। वही जो मकान बनाए गए है उसमें ठेकेदार अपने कमाई का विवरण दे सकते है कि, यह पैसा आया कहां से ? इस संबंध में अरूण निराला उपयंत्री को भी कई बार बताया गया है कि, जल संसाधन विभाग में लगातार फर्जीवाड़ा करके पैसे निकाले जा रहे है। परंतु उनके द्वारा भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी क्यो ? इससे प्रतीत होता है कि, निराला जी की भी इसमें सहमति है।

बताया जाता है कि, मणीशंकर का परिवार कभी भी काम में नहीं जाता। और भी ऐसे लेबर पाए जायेंगे जिनसे स्वामी नाथ पटेल आधा पैसा ले लेते है और मनरेगा में हाजरी लगा दिया जाता है। जल संसाधन विभाग में कोई काम नहीं होने पर भी फर्जी बिल लगाए जाते है। उस विभाग में चार-पांच लोग ऐसे भी है जिनका काम केवल कमिशन लेना और चेक काटना है। इस संबंध को लेकर ई. ए.टोप्पों के पास फोन लगाया गया परंतु फोन लगाने के बाद पता चला की उनका फोन बंद रहता है। मालूम नहीं कि छुट्टी पर है या फिर रेंज से बाहर है ?

जानकार सूत्र बताते है कि, उपयंत्री अरूण निराला इस बात की पक्षदार है कि, पूर्व से ही फर्जी बिल लगा-लगाकर कमिशन दे-देकर पैसा निकला जा रहा है। यहां तक की जिसका फर्जी बिल लगता है उसके यहां से ही फोटो काॅपी भी कराया जा रहा है। यह भी चर्चा का विषय है कि, फोटो काॅपी एक भी नहीं होती और उसके नाम पर बिल निकाला जा रहा है।

जल संसाधन विभाग में आज से नहीं पूर्व से ही दलालों का जाल बिछा हुआ है। इसमें अधिकारी भी क्या करें ? उनको भी 50 प्रतिशत कमिशन मिल रहा है। काम हो रहा है कि, नहीं हो रहा उनसे कोई मतलब नहीं। ठेकेदारों के मूंह में हराम का खाना लग चुका है। इसलिए अधिकारी कुछ नहीं बोल पा रहे है।

वहीं जल संसाधन विभाग के संबंध में समाचार के माध्यम से बार-बार लिखा गया परंतु अधिकारी व फर्जी ठेकेदार बेशरम पेड़ की तरह फल-फुल रहे है। क्या मालूम इस ठेकेदारों से क्या झूठ बोलकर फर्जी बिल लगवाऐ जा रहे है ?
जानकार सूत्र बताते है कि, पूर्व में इसी प्रकार जल संसाधन विभाग रामानुजगंज में संजय गृहकर प्रभारी ई. द्वारा पंद्रह करोड़ रूपये का भी घोटाला किया गया था। और उन पैसो का बंदरबांट भी किया गया था। उसी प्रकार फर्जी ठेकेदार जो रजिस्ट्रर करा-कराकर पैसे निकाल रहे है। पर अधिकारी मौन धारण करके बैठे हुए है। इसी चर्चा बैकुण्ठपुर टी.एल. मीटिंग में क्यों नहीं होती ? इस संबंध में छत्तीसगढ़ शासन को भी पत्र लिखा गया है कि, इनके पास मकान बनाने के लिए कहां से पैसे आए ?

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