बैकुण्ठपुर मुख्यालय में नगर पालिका के सी.एम.ओ. अपने आॅफिस से हमेशा नदारद रहते है। जिससे लोगों के काम रूके हुए है। जानकार सूत्र बताते है कि, मुख्य नगर पालिका के अधिकारी बिना छुट्टी लिए कभी अपने ससुराल चले जाते है तो कभी अपने घर चले जाते है। क्योंकि उनको फ्री फंड का कर्मचारी मिल गया है जिनको हमेशा कार चलवाते रहते है। चर्चा का विषय यह है कि, उनको गाड़ी के लिए पेट्रोल एवं डीजल की भी चिंता नहीं रहती है। क्योंकि उनके पास नगर पालिका से पैसे आते है। इसकी शिकायत मौखिक रूप से उच्च अधिकारियों को भी दी जा चुकी है।
वहीं बैकुण्ठपुर में करोड़ों की पाईप लाईन योजना बेकार हो चुकी है। लोगों के नलों में पानी एक बूंद नहीं आता। जो लोग टूल्लू पम्प लगाए हुए है उनके पास दो-दो नया पूराना कनेक्शन है उनके पास पानी आ रहा है। यह समझ से परे है कि, उपभोक्ता किसका बिल भुगतान करेंगा, नया कनेक्शन का या पूराने कनेक्शन का ? जानकार सूत्र बताते है कि, नगर पालिका के सी.एम.ओ. एवं अध्यक्ष के आशीर्वाद से अपने-अपने परिचित को अवैध कनेक्शन भी दिया जा चुका है। ये किसकी मेहबानी से है। कहीं ऐसे ही व्यक्ति नेतागिरी करने लगे तो बैकुण्ठपुर का नाश नहीं सर्वनाश हो जाएगा। जो पैसा राज्य शासन से नगर पालिका में जनताहित के लिए आएगा वह सभी पैसा इनकी पाॅकिट में चला जाएगा। बार-बार जनता गुहार करती है कि, जितने भी कार्य किए गए है कोई भी काम अच्छा नहीं हुआ। खाली नगर पालिका ने ठेकेदारों का अविष्कार किया है। इसलिए कहा जाता है कि, ‘‘ठेकेदार मालामाल और जनता परेशान’’। क्योंकि पूर्व में जो सी.एम.ओ. था। उसको इसलिए पसंद नहीं करते थे। क्योंकि माल को बांट कर नहीं खाते थे। किसी अधिकारी या नगर पालिका अध्यक्ष या महापौर पैसा को मिल बांटकर नहीं खाते तभी विवाद होता है। अब देखना यह है कि, बैकुण्ठपुर डेढ़ ब्लाॅक का जिला कहां तक कामयाब हो सकता है ?