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नरसिंहपुर : किसान भाई डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके का उपयोग करें, बेहतर विकल्प के नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी……………..

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नरसिंहपुर : नरसिंहपुर जिला कृषि में अग्रणी जिला है। जिले में खरीफ फसलें लगभग 2.20 लाख हेक्टर में लगाई जानी हैं। जिसमें मुख्यत: धान 69 हजार हेक्टर, मक्का 50 हजार हेक्टर, सोयाबीन 32 हजार हेक्टर में लगाया जाना है। इसके अलावा गन्ना 65 हजार हेक्टर में लगा है।

      जिले में खरीफ फसल बोनी को दृष्टिगत रखते हुए पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद का भण्डारण कराया गया है। जिसमें यूरिया 12184 मी. टन भण्‍डारण करते हुए 7625 मी.टन वितरण किया गया है। वर्तमान में 4558 मी.टन यूरिया जिले में उपलब्ध है। इसी प्रकार डीएपी 4833 मी.टन का भण्‍डारण करते हुए 3555 मी.टन का वितरण किया गया है तथा निजी विक्रेताओं के पास 830 मी. टन डीएपी शेष है।

      जिले में एनपीके की 3957 मी.टन वितरण करते लगभग 2551 मी.टन शेष है। इसी प्रकार लगभग 2834 मी.टन एसएसपी भी जिले में उपलब्ध है। अभी वर्तमान में डीएपी की उपलब्धता जिले में कम है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से डीएपी के बेहतर विकल्प  के रूप में 12:32:16, 20:20:0:13 एवं एसएसपी भी पर्याप्त भण्‍डारण है। किसान भाईयों को सलाह दी गई है कि तीन बोरी एसएसपी एवं 17 किलोग्राम यूरिया का मिश्रण करने पर एक बोरी डीएपी के बराबर तत्व की पूर्ति हो जाती है। साथ ही दलहनी फसलों के लिए यह डीएपी से बेहतर विकल्प है, क्योकि इसमें 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा भी फसल को अतिरिक्त मिलती है। इसी प्रकार 20:20:0:13 के उपयोग से भी फसलों अतिरिक्त रूप से सल्फर की पूर्ति होती है। सल्फर दलहनी फसलों की जड़ों में राइजोबियम की गठान में वृद्धि करता है जो जमीन में नाइट्रोजन की पूर्ति में सहायक होती है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है।

      अधिकांश किसानों द्वारा केवल यूरिया एवं डीएपी उर्वरक का ही फसलों में उपयोग किया जा रहा है। जिसमें केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस तत्व की ही आपूर्ति करते है। पोटाश एक प्रमुख पोषक तत्व है, जिसका फसल के स्वास्थ्य एवं अनाज की गुणवत्ता से सीधा सम्बन्ध है। वर्तमान में बहुत से काम्प्लेक्स उर्वरक जैसें–12:32:16, 20:20:0:13 एवं 15:15:15 आदि उपलब्ध है, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश तीनों तत्व पायें जाते है, जो पर्याप्त भण्डारित है।

      किसान भाई नैनो यूरिया को एक शक्तिशाली विकल्प के रूप में इसका उपयोग कर सकते है। इससे किसानों की आर्थिक बचत के साथ की फसल उत्पादकता में वृद्धि होगी। नैनो डीएपी तरल में नाईट्रोजन एवं फास्फोरस क्रमश होता है, परम्परागत डीएपी में पौधों द्वारा नाईट्रोजन उर्वरक का 30 से 40 प्रतिशत भाग ही उपयोग किया जाता है एवं शेष भाग मिटटी, हवा और पानी को प्रदूषित करता है। 225 रूपये में प्रति बॉटल की कीमत पर नैनो यूरिया मिलता है, जो पारम्परिक यूरिया के एक बोरी की जगह लेती है। इसी तरह परम्परागत डीएपी की कीमत 1350 रूपये है एवं एक बॉटल डीएपी की कीमत मात्र 600 रूपये है, इस प्रकार नैनो डीएपी का प्रयोग कर किसान प्रति बोरी 750 रूपये की बचत कर सकते है। नैनो डीएपी का फसल पर सीधे उपयोग करने से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता और पौधों को आवश्यक पोषण प्राप्त होता है। साथ ही फसल उत्पादन में लाभ प्राप्त कर सकते है। अत: विकल्प के रूप में किसान भाई नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का उपयोग भी कर सकते है।

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