रिपोर्ट के अनुसार, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका सहित कई हिस्सों में अग्रणी खाद्य और पेय ब्रांड नेस्ले के बेबी फूड्स में ऐडेड शुगर की मात्रा पाई गई है। हालांकि इसी ब्रांड के यूरोप में बेचे जाने वाले उत्पादों में शुगर की मात्रा नहीं थी। भारतीय बाजार में बिकने वाले उत्पादों में ऐडेड शुगर की मात्रा तीन ग्राम से अधिक पाई गई है, जिसके सेवन से बच्चों की सेहत पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। स्विस संगठन, पब्लिक आई ने इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) के सहयोग से पेश की रिपोर्ट में बताया है कि, बच्चों को दिए जाने वाले कई उत्पादों में ऐडेड शुगर की मात्रा पाई गई है, जिसका अगर लंबे समय तक सेवन किया जाता है तो स्वास्थ्य पर कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकता है। बचपन में शुगर वाली चीजों का सेवन करने से मोटापे से लेकर मेटाबॉलिज्म, पाचन सहित मस्तिष्क से संबंधित कई प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं।
बेबी फूड्स में पाया गया ऐडेड शुगर, बच्चों की सेहत पर दुष्प्रभाव………..
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) पर नजर डालें तो पता चलता है कि दो से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्रतिदिन 25 ग्राम (6 चम्मच) से कम चीनी का सेवन करना चाहिए। वहीं दो साल से छोटे बच्चों को बिल्कुल भी चीनी नहीं देनी चाहिए। चीनी का मतलब सिर्फ चीनी से नहीं बल्कि चॉकलेट, कैंडी, बिस्कुट या फिर उन बेबी फूड्स से भी है जिनमें ऐडेड शुगर की मात्रा होती है। ज्यादा मात्रा में चीनी वाली या मीठी चीजों का सेवन करने वाले बच्चों को मोटापा, उच्च रक्तचाप और टाइप-2 डायबिटीज हो सकता है। अध्ययनों में शुगर वाली चीजों को बच्चों और वयस्कों में हृदय रोगों का खतरा बढ़ाने वाला भी पाया गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, बच्चों के शुगर वाली चीजों के अधिक सेवन के कारण मस्तिष्क से संबंधित कई प्रकार के विकारों के विकसित होने का भी खतरा रहता है। हमारे मस्तिष्क का अपना रासायनिक संतुलन होता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि, कम गुणवत्ता वाले या असंतुलित आहार जैसे हाई प्रोसेस्ड फूड्स, चीनी वाली चीजों का अधिक सेवन मस्तिष्क के रासायनिक संतुलन को बिगाड़ सकता है। ऐडेड शुगर मस्तिष्क को ओवरड्राइव मोड में डाल देती है। जब मस्तिष्क अत्यधिक उत्तेजित होता है, तो यह अतिसक्रियता और मूड में बदलाव का कारण बन सकता है। इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन, मूड विकार, चिंता और मानसिक विकास प्रभावित होने का भी खतरा रहता है।