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पैतृक राजकोश समझकर अपात्रों को दान देते गए………..

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स्वेक्षानुदान की होगी जाँच……….
जिला-कोरिया में प्रशासन के द्वारा पुर्व मंत्री को स्वेक्षानुदान का निर्देश दिया गया की पात्रों को स्वेक्षानुदान दिया जाए, लेकिन बड़ी विडम्बना की बात है की पुर्व मंत्री ने अपात्रोें को एवं अरबपतियों स्वेक्षानुदान दिया, और उन्ही के द्वारा एक परिवार में के सभी सदस्यों स्वेक्षानुदान दिया गया, इसी प्रकार सरकारी कर्मचारियों को भी स्वेक्षानुदान से भर दिया, और 75 प्रतिशत अपने जाति के लोगों को भी स्वेक्षानुदान दिया, और तो और उनके द्वारा एक ही व्यक्ति को हर साल स्वेक्षानुदान दिया गया, एवं अपने पार्टी वालों को भी स्वेक्षानुदान दिया गया, सभी को कुछ न कुछ जुमले बाजी करके दिया गया, किसी को शिक्षा के नाम पर तो किसी को बिमारी के नाम पर दिया गया 60 साल के बुजुर्गों ने शिक्षा के नाम पर पैसा लिया और करोड़ पतियों ने बिमारी के नाम पर पैसा लिया, और पूर्व मंत्री जी पैतृक राजकोश समझकर अपात्रों को दान देते गए, अगर जाँच किया जाए तो 2 या 3 प्रतिशत लोग ही पात्र निकलेगें ऐसा क्यों? ऐसी ही घटना की जानकारी और भी विधानसभा क्षेत्रों से मिली है, बताया जाता है की वहाँ की विधायक द्वारा अपने पिता, माता, भाई, बहन पुरे परिवार को स्वेक्षानुदान देकर शासन के पैसे का ऐसा दुर्पायोग किया गया जैसे कोई राजा महाराजा अपने राजकोश से निकालकर दान में देता है, शासन की इतनी बड़ी राशि का दुर्पयोग करना सविंधान के नियमों का धज्जियां उड़ना है, एवं स्वेक्षानुदान के पात्रों का हक मारना है, ठीक उसी प्रकार जैसे भुखे की मुंह से रोटी छीनना, इस संबंध में आम जनता के द्वारा छत्तीसगढ़ विधान में यह मामला उठाया जाएगा, जिन लोगों धोका देकर स्वेक्षानुदान लिया या दिया गया है, उन लोगों का छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जाँच किया जाएगा।

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