Home उत्तर प्रदेश बाल गृह में  4 बच्चियों की मौत का मामला : जांच कमेटी...

बाल गृह में  4 बच्चियों की मौत का मामला : जांच कमेटी ने कर्मचारियों को ठहराया दोषी…

बाल आश्रय गृह में चार बच्चियों की मौत के बाद संभागीय आयुक्त रोशन जैकब और उनकी टीम द्वारा दायर ऑडिट रिपोर्ट में बाल कल्याण समिति की ओर से कई खामियां और लापरवाही पाई गई है.

164
0

राजधानी लखनऊ :- के बाल आश्रय गृह में चार बच्चियों की मौत के बाद संभागीय आयुक्त रोशन जैकब और उनकी टीम द्वारा दायर ऑडिट रिपोर्ट में बाल कल्याण समिति की ओर से कई खामियां और लापरवाही पाई गई है.

महिला एवं बाल कल्याण विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट में भविष्य में ऐसी मौतों को रोकने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की गई है. पिछले महीने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार को एक हलफनामा दायर कर राजकीय बाल गृह में चार बच्चों की मौत के कारणों और कैदियों की उचित देखभाल सुनिश्चित करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराने के लिए कहा था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि डब्ल्यूसीडी को लखनऊ सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष को हटाने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि वह नाबालिगों से संबंधित फाइलों पर समय पर निर्णय लेने में विफल रहे और फाइलों में कथित रूप से मनमाना बदलाव किया. इसके अलावा, वह मुक्त कराए गए बच्चों को उनके निवास स्थान या उनके माता-पिता का पता जानने के बाद भी उनके परिवारों से मिलाने में विफल रहा.

इस वजह से बच्चों को बेवजह शेल्टर होम में रखा जाता था, जिससे भीड़भाड़ हो जाती थी, इससे उनकी देखभाल पर भी असर पड़ता था. रिपोर्ट में कहा गया है कि शेल्टर होम के डॉक्टर डॉ. सुदर्शन सिंह पिछले 15 सालों से हर बच्चे को एक ही तरह की सलाह दे रहे थे, भले ही उनके लक्षण अलग-अलग थे. अगर डॉ. सिंह ने शिशुओं का सही इलाज किया होता, तो उनकी रिकवरी बेहतर हो सकती थी. रिपोर्ट में डॉ. सिंह को तुरंत हटाने की सिफारिश की गई है.

रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि आश्रय गृह में तैनात नर्सों की कार्यकुशलता के मूल्यांकन के लिए स्वास्थ्य विभाग को एक समिति का गठन करना चाहिए. केवल उन्हीं नर्सों को तैनात किया जाना चाहिए जो कुशल और दक्ष हों. आश्रय गृह में लगे सीसीटीवी कैमरों को देखने के बाद ऑडिट टीम ने पाया कि कई शिशुओं को एक ही बोतल से दूध पिलाया गया था, इससे संक्रमण की संभावना बढ़ सकती थी.

पैनल ने ऐसी असंवेदनशील सेविकाओं को हटाने की सिफारिश की है जो बच्चों की जान जोखिम में डाल रही थीं. एक अन्य अवलोकन में, एक तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाता के माध्यम से काम पर रखा गया एक कर्मचारी जिसकी पहचान वसीम के रूप में की गई थी, अनावश्यक रूप से आश्रय गृह के दिन-प्रतिदिन के कामकाज को बाधित कर रहा था. पैनल ने उसे तत्काल प्रभाव से हटाने की सिफारिश की है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here