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सोनभद्र के एक युवक ने किया अनोखा अविष्कार, हेलमेट के तालमेल से ही चलेगी बाइक…

इंद्रेश के इस आविष्कार के बारे में स्थानीय परिवहन विभाग के अधिकारियों को पता चला तो उन्होंने इसे राष्ट्रपटल पर लाने का फैसला किया।

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लखनऊ। 17 साल के एक युवक ने ऐसी मोटरसाइकिल और उसके साथ हेलमेट तैयार किया है. जो एक दूसरे के पूरक हैं और वह मोटरसाइकिल बिना उस हेलमेट के पहने स्टार्ट नहीं हो सकती. हेलमेट का बेल्ट भी खुला है तो भी मोटरसाइकिल स्टार्ट नहीं होगी या मोटरसाइकिल चलाने वाला अगर शराब पीकर मोटरसाइकिल चलाने की कोशिश करेगा तो भी मोटरसाइकिल स्टार्ट नहीं होगी। यह जानकर आपको हैरानी जरूर हुई होगी. शायद आप यकीन भी नहीं कर रहे होंगे, लेकिन सच यही है। अगर इस तकनीक को दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियां अपने प्रयोग में लाती हैं तो निश्चित रूप से यह तकनीक सड़क सुरक्षा के दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित हो सकती है। यहां यह भी स्पष्ट करे दें कि इस तकनीक का प्रयोग किसी भी मोटरसाइकिल में किया जा सकता है।

जनपद सोनभद्र मधुपुर के रहने वाले इस आविष्कारी युवक का नाम इंद्रेश कुमार है, जो 11वीं का छात्र है। वैसे तो इंद्रेश बायो ग्रुप का छात्र है, लेकिन उसकी दिमागी शक्ति आज बड़े-बड़े इंजीनियरों को चुनौती दे रही है। इंद्रेश के इस आविष्कार के बारे में स्थानीय परिवहन विभाग के अधिकारियों को पता चला तो उन्होंने इसे राष्ट्रपटल पर लाने का फैसला किया।

मिर्जापुर आरटीओ संजय तिवारी बताते हैं कि मुझे जब पता चला कि इंद्रेश कुमार नाम के युवक ने इस तरह की तकनीक इजाद की है, तो मैंने स्वयं संपर्क किया और पूरी जानकारी ली। इसी दौरान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह सोनभद्र के दौरे पर थे, उनसे भी इस युवक को मिलवाया गया और परिवहन मंत्री जी को हेलमेट मय मोटरसाइकिल के साथ डेमो दिखाया गया। उन्होंने इंद्रेश की जमकर तारीफ की साथ ही प्रोत्साहन के तौर पर सड़क सुरक्षा विभाग की तरफ से 50 हज़ार का इनाम भी दिया गया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलवाकर इस तकनीक का प्रचार प्रसार करने का आश्वासन दिया था।

इसी के मद्देनजर बुधवार को आरटीओ संजय तिवारी समेत युवक इंद्रेश कुमार अपनी बाइक और हेलमेट के साथ विधानसभा में पहुंचा था। आरटीओ संजय तिवारी का स्पष्ट मानना है कि इस तकनीक के प्रयोग से सड़क दुर्घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी और लोग ज्यादा सुरक्षित होकर यात्रा कर सकेंगे।

वहीं इंद्रेश ने बताया कि इस तकनीकी को मूर्त रूप देने में लगभग 1 साल का वक्त लगा, साथ ही तकरीबन 3 हज़ार रूपये का खर्चा भी आया। उसने बताया कि कुछ उपकरण मोटरसाइकिल में लगाए गए हैं, साथ ही कुछ उपकरण हेलमेट में है। हेलमेट मे एक बैटरी भी लगी हुई है जो एक बार चार्ज होने पर लगभग 72 घंटे तक चलेगी। इंद्रेश का मानना है कि संसाधनों के अभाव में उसने यह अविष्कार किया है अगर उसे अच्छे संसाधन मिले तो कम खर्च में इस तकनीक को और भी प्रभावी बनाया जा सकता है। और भविष्य में कोई भी व्यक्ति बिना हेलमेट पहने मोटरसाइकिल नहीं चला पायेगा।

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