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संजीवनी कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों की बड़ी उपलब्धि छत्तीसगढ़ का पहला रोबोटिक इसोफैगक्टोमी……..

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रायपुर :- छत्तीसगढ़ के संजीवनी कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बड़ी चिकित्सा उपलब्धि हासिल करते हुए संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल में सीनियर सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. दिवाकर पांडेय की सर्जिकल टीम ने राज्य का पहला रोबोटिक इसोफैगक्टोमी सफलतापूर्वक किया है. इसके साथ ही सीनियर सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अर्पण चतुर्मोहता की सर्जिकल टीम ने अत्याधुनिक रोबोटिक एवं फ्रोजन तकनीक की सहायता से जटिल पार्शियल नेफ्रेक्टॉमी प्रोसीजर द्वारा मरीज के कैंसर ग्रसित किडनी से कैंसर निकालकर किडनी बचाने का सफल ऑपरेशन भी किया गया. डॉ. दिवाकर पांडेय ने रोबोटिक इसोफैगक्टोमी प्रोसीजर के बारे में बताया कि इस कॉम्प्लेक्स प्रोसीजर को पहली बार अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम का उपयोग करके सक्सेसफुल ट्रीटमेंट किया गया है. इसोफेजियल कैंसर से पीड़ित 45 वर्षीय व्यक्ति का रायपुर के संजीवनी कैंसर अस्पताल में ऑपरेशन किया गया. इस सर्जरी पूरा को रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करके केवल दो घंटे में पूरा किया गया. ट्रीटमेंट के बाद अब मरीज ठीक है.

डॉ. अर्पण चतुर्मोहता ने बताया की किडनी कैंसर से पीड़ित, 61 वर्षीय महिला की रोबोटिक पार्शियल नेफ्रेक्टॉमी एवं फ्रोजन की सहायता से किडनी बचाने वाली सर्जरी की गई. यह जटिल प्रक्रिया रोबोटिक सिस्टम की सहायता से की गई जिससे छोटे चीरे, रोबोटिक आर्म्स की निपुणता एवं कम ब्लड लॉस का प्रोसीजर की सफलता और मरीज को कम से कम हानि पहुंचाने में योगदान मिलता है. पूर्व में किडनी को निकालकर इसका इलाज किया जाता था लेकिन, एडवांस्ड रोबोटिक सिस्टम और फ्रोजन सेक्शन तकनीक की सहायता से एक तरफ की 85 प्रतिशत किडनी और दूसरे तरफ की पूरी किडनी को बचा लिया गया.
यह छत्तीसगढ़ राज्य और रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. इसोफेजेक्टॉमी, पार्शियल नेफ्रेक्टॉमी जैसी जटिल प्रक्रियाओं में रोबोटिक सिस्टम का उपयोग तेजी से सामान्य होता जा रहा है, और उम्मीद है कि भविष्य में कैंसर मरीजों के परिणामों और रिकवरी समय में सुधार जारी रहेगा.

दोनों प्रक्रियाओं में नियंत्रण बढ़ाने के लिए रोबोटिक प्रणाली के उपयोग की अनुमति दी गई, जिसके परिणामस्वरूप छोटे चीरे के कारण कम ब्लड लॉस हुआ और मरीज की प्रोसीजर से रिकवरी भी सामान्य के मुकाबले बेहतर और जल्दी हुई. डॉ. अर्पण चतुर्मोहता और डॉ. दिवाकर पांडे ने कहा की ‘हम मरीज के स्वास्थ्य में सुधार के लिए इस अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने के अवसर के लिए आभारी हैं. इस रोबोटिक प्रोसीजर से ब्लड लॉस में कमी, सर्जरी में ज्यादा सटीकता और निपुणता के साथ ही मरीज को जल्दी रिकवरी भी होती है, जिससे उसे जल्दी डिस्चार्ज भी किया जा सकता है. यह राज्य के लिए एक बड़ा कदम है.’

संजीवनी के डायरेक्टर और सीनियर सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. यूसुफ मेमन ने दोनों जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सर्जिकल टीमों के प्रयासों के लिए बधाई दी. उन्होंने साझा किया कि यह राज्य के लिए स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है और उम्मीद है कि इस सफलता की वजह से भविष्य में इसी तरह की स्थिति वाले और अधिक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय मरीज छत्तीसगढ़ की ओर आकर्षित होंगे, जिससे राज्य में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.

सर्जरी में रोबोटिक तकनीक का उपयोग आने वाले वर्षों में तेजी से सामान्य होने की उम्मीद है, क्योंकि यह पारंपरिक सर्जिकल तकनीकों की तुलना में कई फायदे प्रदान करता है. इसोफेजेक्टॉमी में रोबोटिक सिस्टम मरीजों के लिए ज्यादा सटीकता, नियंत्रण और स्पीडी रिकवरी में मददगार साबित हुआ और ऐसे ही अन्य जटिल सर्जरी में भी इसके फायदों का कैंसर मरीज लाभ लेते रहेंगे.

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