छत्तीसगढ़ शासन पत्रकारों के सुरक्षा के लिए लापरवाह
छत्तीसगढ़ मेें जिसको आम जनता चुनती है, उन लोगांे को छत्तीसगढ़ शासन दस-दस पन्द्रह-पन्द्रह लोगों की फोर्स दे देती है, ऐसे लोगों को फोर्स देना जायज नहीं, जब की जनता अपने मत अधिकार का उपयोग करके जीताती है उसको फोर्स एवं लाखों रूपये खर्च करने का क्या मतलब है, जब की पत्रकारता में जो सही व्यक्ति हैं जिसके द्वारा समाचार प्रकाशन किया जाता है उसे कोई सुरक्षा नहीं मिलता जिससे उन पर प्राणघातक हमला हो जाता है, जब की सन् 1984 में मध्यप्रदेश शासन के आदेश में लिखा है की पत्रकारता के समय प्रशासन व पुलिस प्रशान पत्रकार का सहयोग करेंगे पर पुलिस प्रशासन पत्रकारों का सहयोग न करके अपराधियों का सहयोग करता है, क्योंकि पत्रकार से क्या लाभ मिलेगा जबकी अपराधियों से मोटी रकम मिलती है, अगर जाँच किया जाए तो पुलिस विभाग के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक करोड़़ो में खेलते नजर आऐंगे, समाचार को लेकर पत्रकार के उपर या तो हमला होता है या पत्रकार के उपर फर्जी मामला दर्ज होता है, जैसे सांप और नेवला के बिच होता है, पुलिस प्रशासन द्वारा सही पत्रकार जो ईमानदार व कर्मठ होते हंै उस पत्रकार के उपर फर्जी मामला बनाकर उसे जिला बदल के लिए कहानी बना दी जाती है, जब की भारत के संविधान मे लिखा हुआ है की पुलिस विभाग के द्वारा संपादक व ईमानदार पत्रकार के उपर जिला बदल का कोई मामला नहीं बनेगा, इसी प्रकार बिलासपुर में कुछ दिन पहले की एक घटना है, जिसमें पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द शर्मा एवं साथियों के उपर समाचार को लेकर खनिज माफिया के चोरों द्वारा प्राणघातक हमला किया गया जिसका नाम दर्ज एवं रिर्पोट किया गया जिसका निकम्मा पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही न करने की लापरवाही को लेकर वशिष्ठ टाइम्स समाचार का परीवार घोर निन्दा करता है, पुलिस का लापरवाही को देखते हुए वशिष्ठ टाइम्स समाचार पत्र के संपादक द्वारा पुलिस प्रशासन को अवगत कराया जा रहा है की, कार्यवाही न होने पर वशिष्ठ टाइम्स समाचार पत्र के संपादक द्वारा कठोर कदम उठाया जाएगा जिसका जिम्मेदार छ.ग पुलिस प्रशासन होगा।