बैकुंठपुर/सोनहत– गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचारी जारी है, प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद से यहाँ अंधाधुंध निर्माण कार्य बेतरतीब तरीके से जारी है क्योंकि इनके कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए कोई अधिकारी न होने के कारण संबंधित क्षेत्र के रेंजर ही सर्वेसर्वा होते हैं और जिसका फायदा उठाते हुए निर्माण कार्यों में भारी धांधली की जाती है, ताजा मामला गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के पार्क परिक्षेत्र सोनहत का है जहाँ के मझगवां सर्किल के अंतर्गत पश्चिम सुकतरा के कक्ष क्रमांक 71 में विभाग द्वारा इसी वर्ष बनाया गया आठ मीटर ऊँचा व लगभग 40 मीटर लंबा मिट्टी का बाँध पहली बारिश में ही बह गया जिसकी लागत कोई बताने को तैयार नहीं है लेकिन कार्य को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाँध की लागत लाखों में है,फिलहाल बाँध बहने के बाद विभाग आनन फानन में बहे हुए हिस्से में मिट्टी भरने में लगा हुआ है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि मरम्मत के नाम पर भी कुछ गोलमाल हो गया होगा बहरहाल ये तो जाँच का विषय है पर जाँच करेगा कौन जबकि हिस्सा निचे से ऊपर तक पहुंच रहा है।
रेत,गिट्टी,मुरुम,मिट्टी का अवैध खनन बड़े पैमाने पर–
जानकारी के मुताबिक पार्क परिक्षेत्र सोनहत में ही निर्माण कार्यों के लिए रेत,गिट्टी,मुरुम, मिट्टी का बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन जारी है और ये सब परिक्षेत्राधिकारी के देखरेख में चल रहा है आपको बता दें कि कुछ दिनों पूर्व भी रपटा निर्माण के लिए विभाग द्वारा भारी मात्रा में गिट्टी तुड़वा कर रपटा निर्माण कराया था जीसकी खबर भी प्रमुखता से लगाई गई थी लेकिन ऊपर से लेकर नीचे तक सब सेट होने की वजह से कोई कार्यवाही नहीं हुई।
बिल ठेकेदारों का मटेरियल जंगल का– आपको बता दें कि सारा खेल इस प्रकार चल रहा है कि जिन सप्लायरों को सामग्री सप्लाई का जिम्मा मिलता है उनका सिर्फ बिल लगाया जाता है और सीमेंट व सरिया को छोड़कर बाकी सभी निर्माण सामग्री की पूर्ति जंगल के अंदर से की जाती है।और कोई निर्माण स्थल तक न जाए इसके लिए आजकल साहब ने नया फार्मूला ईजाद कर लिया है कि संबंधित एरिया कोर जोन में है जहाँ किसी का भी जाना प्रतिबंधित है।
आम आदमी के लिए हैं कड़े कानून– पार्क परिक्षेत्र के अंदर तथा सीमा से सटे ग्रामों के निवासरत ग्रामीणों के लिए विभाग द्वारा कड़े दिशा निर्देश जारी किए गए हैं मसलन परिक्षेत्र के अंदर सूखी लकड़ी चुनना, पत्ता तोड़ना प्रतिबंधित है निवासरत ग्रामीणों को तेंदू पत्ता तोड़ने की भी मनाही है पर इसके बिल्कुल उलट विभाग निर्माण सामग्रियों की अधिकतम जरूरतें जंगल से ही पूरी करता है।