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✍ लाकडाउन खुलने के बाद लोगों के दिलो-दिमाग से कोरोना महामारी का भय खत्म…….

लापरवाही श्मशान में शवयात्रा के साथ आने वाले परिजनों के लिए बेहद घातक साबित हो सकती है

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रायपुर।  छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लाकडाउन खुलने के बाद लोगों के दिलो-दिमाग से कोरोना महामारी का भय खत्म हो गया है। इसका प्रत्यक्ष नजारा रविवार को मारवाड़ी श्मशान घाट में दिखाई दिया, जहां 10 बजे से लेकर साढ़े 10 बजे तक एक के बाद एक सात शवयात्रा पहुंचीं। इसमें एक हजार से अधिक लोग आए।

पहले से ही दो तीन चिता की अस्थियां पड़ी हुई थीं, इसलिए लाइन से लोगों को शव का दाह संस्कार अगल-बगल में करने को मजबूर होना पड़ा। परिजनों, रिश्तेदारों की भीड़ के चलते लोगों को सट सट कर खड़े रहना पड़ा। कोरोना के नियमों के तहत शारीरिक दूरी का पालन करना जरूरी है, लेकिन वहां आए लोगों में किसी तरह का भय नहीं था।

ऐसा भी नजारा दिखाई दिया कि कई लोग बिना मास्क पहने ही श्मशान पहुंच गए थे। जब लोगों ने टोका तब कहीं रुमाल से उन लोगों ने मुंह ढंका। श्मशान घाट में बैठने के लिए बनाए गए शेड में जगह कम पड़ गई। शेड खचाखच भरा था। जगह न होने के बावजूद लोगों ने शारीरिक दूरी की परवाह नहीं की और घुसकर बैठे नजर आए।

श्मशान घाट में ही कोरोना के मरीजों का भी दाह संस्कार किया जा रहा है। उस तरफ की हालत तो और भी बदतर है। जहां चिता जल रही है, उसके पास ही चिता से उतारे गए कपड़े और कोरोना कर्मियों के इस्तेमाल के बाद फेंके गए किट भी बिखरे पड़े हैं। यह लापरवाही श्मशान में शवयात्रा के साथ आने वाले परिजनों के लिए बेहद घातक साबित हो सकती है।

श्मशान में आने वाले जितेंद्र शर्मा, गिरिराज शर्मा का कहना था कि सरकार सड़कों पर लोगों से मास्क न पहनने पर जुर्माना वसूल रही है, लेकिन श्मशान में जिस तरह लापरवाही बरती जा रही है उस ओर नगर निगम का ध्यान नहीं जा रहा। यहां से प्रतिदिन शव से निकाले गए वस्त्रों और अन्य वस्तुओं को तुरंत ही हटाने की व्यवस्था होनी चाहिए मगर, फालतू कपड़ों, फेंके गए मास्क, किट का ढेर लगा है। जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। यदि सावधानी नहीं बरती गई, तो इसका दुष्परिणाम राजधानीवासियों को भुगतना पड़ सकता है।

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