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✍ औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही आंवला पूजनीय भी है……..

इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए घर पर ही आंवला की पूजा करेंगी

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रायपुर। आयुर्वेद में जहां आंवला फल को औषधि में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं हिंदू धर्म में आंवला फल को पूजनीय माना जाता है। यही कारण है कि आंवला फल को पूजने के लिए एक खास तिथि कार्तिक मास की नवमीं को आंवला नवमीं के रूप में पूजा की परंपरा चली आ रही है। सोमवार को महिलाएं आंवला पेड़ के नीचे पूजा अर्चना करने पहुचेंगी।

रायपुर का पिछले कुछ सालों से तेजी से विकास किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कई मार्गों पर से पेड़ों को काट दिया गया। इसमें आंवला के पेड़ भी शामिल थे। अब एकाध पार्क में ही आंवले के पेड़ हैं, जहां पूजा करने महिलाएं पहुंचेंगी। कालोनी में बस चुकी महिलाओं को अब पूजा करने के लिए आंवला पेड़ ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ेगी।

पुरानी बस्ती निवासी अलका अग्रवाल ने बताया कि वे हर साल मोतीबाग में पेड़ के नीचे पूजा करतीं हैं। मगर, इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए घर पर ही आंवला की पूजा करेंगी।

पंडित चंद्रभूषण शुक्ला के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दो दिन पहले कार्तिक शुक्ल नवमी 23 नवंबर को आंवला नवमीं पर्व मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ में भगवान विष्णु और शंकर का वास होता है। दोनों देवों की एक साथ पूजा-अर्चना करने से पापों का नाश होता है और पुण्य बढ़ता है। इसी मान्यता के चलते परिवार समेत महिलाएं आंवला पेड़ के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना करेंगी। पेड़ के नीचे बैठकर भोजन भी ग्रहण करेंगी।

पुजारी पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार, आंवला नवमी पर आंवला पेड़ को पूजे जाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। शास्त्रों में वर्णित है कि एक बार माता लक्ष्मी धरती लोक का भ्रमण करने निकली। उन्हें भगवान विष्णु व शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा जागृत हुई।

मां लक्ष्मी ने तुलसी एवं बेल का गुण एक साथ पाए जाने वाले आंवले के फल को ही विष्णु और शंकर मानकर पूजा। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए तब मां लक्ष्मी ने शिव और विष्णु को आंवले वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करवाया। तभी से आंवला पेड़ पूजने की परंपरा चली आ रही है।

आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डा. एसके बघेल के अनुसार आंवला में कई गुण हैं। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में है। इसका सेवन करने से डायबिटिज में लाभ होता है। आंखों की रोशनी बढ़ती है। हीमोग्लोबिन नियंत्रित रहता है। एसिडिटी में फायदेमंद होता है। चरक संहिता और पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आंवले का सेवन करने को महत्व दिया गया है।

आंवला आंखों, बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद है। विभिन्न तरह की बीमारियों जैसे डायबिटीज, एसिडिटी, पथरी, रक्त की कमी, आंखों की ज्योति बढ़ाने, मोतियाबिंद से छुटकारा पाने, बुखार, दांत व मसूढ़ों के दर्द, शरीर से गर्मी भगाने, हिचकी, उल्टी में आंवला के रस को शहद, मिश्री के साथ सेवन करने से राहत मिलने का उल्लेख आयुर्वेद में है।

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