कल सर्व पितृ अमावस्या है. इस दिन अपने पितरों को विदा किया जाता है. पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है. यह दिन पितरों की विदाई का होता है. 17 सितंबर गुरुवार के दिन सर्व पितृ अमावस्या है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं. पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है. इस अमावस्या को दान करने पर पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं. आइए जानते है कि इस दिन अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए कैसे विदाई…
मान्यता है कि गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम होता है. इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं. क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है. इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से किया जाना चाहिए.
सर्वपितृ अमावस्या को पितरों से क्षमा याचना करते हुए उन्हे विदा करना चाहिए. पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर बिना साबुन लगाए स्नान करें और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पितरों के तर्पण के निमित्त सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें. पितरों को स्मरण करते हुए जाने अंजाने में किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा मांगे और परिवार के सभी सदस्यों पर आर्शीवाद बनाए रखने की प्रार्थाना करें. इस दिन शाम को एक दीपक जलाकर हाथ में रखें और एक कलश में जल लें. इसके बाद घर में चार दीपक जलाकर चौखट पर रखें. इसके बाद पितरों का आभार व्यक्त करें. इसके बाद दीपक को मंदिर में रख दें और जल पीपल के वृक्ष पर चढ़ा दें.
मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या को उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या को होती है. वहीं जिन लोगों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है उन लोगों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है. इसीलिए सर्वपितृ अमावस्या को बहुत ही विशेष माना गया है. इस दिन उन महिलाओं का भी श्राद्ध करने की परंपरा है, जिनकी मृत्यु सौभाग्यवती रहते हुए हो जाती है. वैसे महिलाओं के लिए नवमी तिथि को अहम माना गया है. नवमी की तिथि को विवाहित महिलाओं का श्राद्ध करने का विधान बताया गया है.