नवरात्र दुर्गा पूजा की तरह छठ पूजा भी हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है, जिसे कार्तिक महिने मनाया जाता है, यह मुख्य रूप से सूर्य देव की उपासना का पर्व है, छठ पूजा करने या उपवास रखने के सबके अपने अपने कारण होते हैं, मुख्य रूप से छठ पूजा सूर्य देव की कृपा पाने के लिए की जाती है, सूर्य देव की कृपा से घर में धन, धान्य, संतान की प्राप्ती होती है इसी को लेकर जिला कोरिया में जगह-जगह तालाब नदी के किनारे पूजा करने वाले दौरी तथा सूपा में पूजा की सामाग्री को लेकर सूर्य देव को अर्ग देते हैं और सूर्य देव से अपनी मनोकामना मांगते हैं जिसमे 24 घण्टे निर्जला उपवास रहा जाता है, इसकी बड़ी सुद्धता से पूजा सामाग्री तैयार किया जाता है, दुसरे दिन सुबह 5-6 बजे के बिच में पूजा करने वाले भक्त तालाब में नहाते हैं और तालाब में रहकर सूर्य उदय होने का प्रतीक्षा करते हैं, सूर्य देव के उदय होने के बाद पहला अर्ग देते हैं उसके उपरान्त प्रसाद ग्रहण करके अपना निर्जला व्रत तोड़ते हैं, इसे रामायण काल में भगवान श्री राम के आयोध्या आने के पश्चात माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना करने से भी जोड़ा जाता है, छठ देवी को सूर्य देव की बहन बताया जाता है, लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ देवी ईश्वर की पुत्री देव सेना बताई गईं हैं, वह प्रकृति के छठवे अंश से उत्पन्न हुई हैं, यही कारण है की उन्हे छठ मईया कहा जाता है।