20 जुलाई, सोमवार को सावन महीने की अमावस्या तिथि है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इसके अलावा सावन के महीने में पड़ने के कारण इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विधान है। सावन के महीने में सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ने के कारण इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। लेकिन इस साल कोरोना संकट के चलते पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है। ऐसे में इस दिन घर पर स्नान करना चाहिए और भगवान का स्मरण कर पितरों को तर्पण देना चाहिए।
पंचांग में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान और दान करने विशेष पुण्य लाभ मिलता है। चंद्रमा की 16वीं कला को अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर चंद्रमा की यह कला जल में प्रविष्ट हो जाती है। अमावस्या माह की तीसवीं तिथि है, जिसे कृष्णपक्ष के समाप्ति के लिए जाना जाता है। इस तिथि पर चंद्रमा और सूर्य का अंतर शून्य होता है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है। ऐसे में अमावस्या तिथि पर पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने और पूजा करने का विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में सोमवती अमावस्या होने के कारण शिव पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। पूजन सामग्री के साथ इस दिन पीपल की पूजा करने से विशेष लाभ होता है। अमावस्या तिथि पर पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है क्योंकि सभी तिथि में अमावस्या तिथि देवी लक्ष्मी का बहुत ही प्रिय होती है।
इस तिथि पर सुबह-सुबह गंगा स्नान कर पितरों को तर्पण दिया जाता है। इससे पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है। अमावस्या पर गरीबों को दान दिया जाता है।
इस महापुण्यदायक दिन में हमारी वाणी के द्वारा किसी के लिए अशुभ शब्द ना निकले इसका सदैव ध्यान रखना चाहिए। उसका कारण यह है कि इस दिन मन, कर्म, तथा वाणी के द्वारा भी किसी के लिए अशुभ नहीं सोचना चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन केवल बंद होठों से उपांशु क्रिया के द्वारा ॐ नमः शिवाय मंत्र पढ़ते हुए शिवलिंग पर जल आदि का अर्पण करना चाहिए। प्रत्येक प्राणी को अपना प्रारब्ध सुधारने एवं भाग्य प्रखर करने के लिए अपनी शक्ति-सामर्थ्य के अनुसार इस दिन दान, पुण्य तथा जप करने चाहिए। यदि आप किसी भी तीर्थ नदी और समुद्र आदि में जाने में किसी भी कारण से असमर्थ हैं तो अपने घर में ही प्रात:काल दैनिक कर्मों से निवृत होकर स्नान करें ध्यान रहे स्नान और जप करते समय सत्यव्रत का पालन करें। झूँठ बोलने, छल अथवा कपट आदि करने से बचें। किसी जरुरतमंद विद्यार्थी को दान में पुस्तकें, भूखों को अन्न-भोजन आदि, गौ को हरा चारा, कन्यादान हेतु आर्थिक मदद, सर्दी से परेशान होने वाले गरीबों को वस्त्र, तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें।
ऐसा करने से प्राणी को सभी प्रकार के भोगों एवं ऐश्वर्यों की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही सतयुगमें में तप से, द्वापर में श्रीहरि की भक्ति से, त्रेता में ब्रह्मज्ञान और कलियुग में दान से मिले हुए पुण्य के बराबर श्रावण सोमवती अमावस्या में केवल किसी भी शिवलिंग के दर्शन-अभिषेक आदि से भी उतना ही पुण्य मिलजाता है। इस दिन शिव परिवार की आराधना के पश्चात अपने सामर्थ के अनुसार अन्न वस्त्र धन गौ भूमि स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए। आज के दिन पंचामृत के द्वारा शिवलिंग पर किये गए लेप से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और उनकी जन्म कुंडली में सूर्य और चन्द्र जनित ग्रहदोषों के कुप्रभाओं से छुटकारा मिलता है।