✍ देश में लॉकडाउन को 54 दिन हो गए। प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के दौर में पांचवी बार राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। मोदी ने एक बेहद महत्वपूर्ण बात लोकल से वोकल (vocal about local) को लेकर कही। यानी लोकल प्रोडक्ट्स को लेकर जागरुक बनें और इनको बढ़ावा दें। उन्होंने साफ कहा कि संकट के इस दौर में देश को लोकल ने ही बचाया। इसलिए, अब इसे ग्लोबल बनाना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। मोदी ने अपने भाषण में 25 बार आत्मनिर्भरता शब्द का इस्तेमाल किया।
लोकल हमारी जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री ने कहा, “गरीब, श्रमिक, प्रवासी मजदूर हों, मछुआरे हों। हर तबके लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा। कोरोना ने हमें लोकल मैन्यूफैक्चरिंग, लोकल सप्लाई चेन और लोकल मार्केटिंग का भी मतलब समझा दिया है। लोकल ने ही हमारी डिमांड पूरी की है। हमें इस लोकल ने ही बचाया है। लोकल सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है।’’
इसे जीवन मंत्र बनाएं
मोदी ने आगे कहा, “समय ने हमें सिखाया है कि लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा। आपको जो आज ग्लोबल ब्रांड लगते हैं, वो भी कभी ऐसे ही लोकल थे। जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल और प्रचार शुरू किया। उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व किया तो वे प्रोडक्ट्स लोकल से ग्लोबल बन गए। इसलिए, आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है। न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट्स खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। आपके प्रयासों ने तो हर बार आपके प्रति मेरी श्रद्धा को और बढ़ाया है।’’
लोकल की मिसाल भी दी
प्रधानमंत्री ने स्थानीय उत्पादों यानी लोकल प्रोडक्ट्स को लेकर खादी की मिसाल दी। कहा, “मैं गर्व के साथ एक बात महसूस करता हूं। मैंने एक बार आपसे खादी खरीदने का आग्रह किया था। बहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूम की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। उसे आपने बड़ा ब्रांड बना दिया। बहुत छोटा सा प्रयास था। लेकिन, बहुत अच्छा परिणाम मिला।’’
इफिशिएंसी और क्वॉलिटी का मंत्र
प्रधानमंत्री ने रिफॉर्म्स पर भी जोर दिया। कहा, “रिफॉर्म खेती की चेन से भी जुड़ेंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और कोरोना जैसे संकट में खेती पर कम से कम असर हो। यह रिफॉर्म मजबूत फाइनेंशियल सिस्टम के निर्माण के लिए भी होंगे। ये निवेश को आकर्षित करेंगे और मेक इन इंडिया के सपने को साकार करेंगे। आत्मनिर्भरता दरअसल, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता ग्लोबल सप्लाई चेन की स्पर्धा में देश को तैयार करेगी। इसे समझते हुए आर्थिक पैकेज में कई प्रावधान किए गए हैं। इससे हमारे सभी सेक्टर्स की इफिशिएंसी बढ़ेगी और क्वालिटी भी तय होगी।’’