अंबिकापुर। कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर शहर में पुलिस चौकसी कर रही है, वहीं गांव की सीमा में कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश न करें इसके लिए पहरेदारी गांव के लोगों की सहमति से युवा कर रहे हैं। शहर सीमा से लगे जल ग्राम सोनपुर कला, सोनपुर खास, असोला से लेकर जिले के अंतिम सीमा ग्राम तक ऐसा नजारा अंबिकापुर-रामानुजगंज हाइवे में देखने को मिल जाएगा। इन गांवों के प्रवेश द्वार पर ही अनजान लोगों के लिए बैरिकेड लगाकर अंदर जाना वर्जित कर दिया गया है।
मुख्य रास्तों के अलावा गांव में प्रवेश के संभावित मार्गों को भी कंटीले झाड़ लगाकर अवरुद्ध कर दिया गया है, ताकि कोई गांव में प्रवेश न कर पाए। कांटेदार झाड़ियों को शॉर्टकट रास्तों में लगा देने से कोई चाहकर भी गांव की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकता।
अगर किसी ने गाड़ी आसपास खड़ा करके गांव में घुसने का प्रयास किया और गांव के लोगों की नजर में आ गया तो उसकी खैर नहीं। गांव के लोग स्वयं शहर की ओर रुख नहीं करते, न ही शहर या दूसरे गांव के लोगों को इन गांव की सीमा में प्रवेश करने देते हैं। इसे युवाओं ने गांव का कर्फ्यू नाम दिया है। ऐसा नहीं है कि बेरीकेट लगाकर यहां पहरा देने वाले युवा कोई काम नहीं करते।
कोई शहर के दुकान में काम करता है तो कोई वाहन चालक का काम करता है। कोरोना के संक्रमण के प्रभाव से बचाने सरकार के द्वारा किए गए पहल के बीच दुकान, वाहनों का संचालन बंद होने से काम से वंचित हुए युवा अपने गांव को संक्रमण मुक्त बनाने की राह पर चल पड़े हैं।
गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश रोकने का कारण पूछने पर वाहन चालक का काम करने वाले असोला ग्राम के रघु दास, खेतिहर मनेष कुमार, दुकान में काम करने वाले कमल साय पैकरा का कहना है कि बड़े शहरों से बीमारी पूरे देश में फैली है, वे अपने गांव की फिजा को महानगरों और बड़े शहरों के बीच समय गुजार करके आए लोगों को गांव में प्रवेश कराकर दूषित नहीं करना चाहते हैं।
कोरोना को लेकर जहां एक ओर धारा 144 लागू है, उसके बाद भी शहर के लोगों को गांव में आते वे देख रहे थे। सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय के बाद उन्होंने गांव की सीमा से लगे हाईवे में अनावश्यक कदम रखने की सोच नहीं बनाई, पर शहर के लोगों को कभी गांव में मुर्गा-मुर्गी के चक्कर में तो कभी दूध के लिए डेयरी में जाने के बहाने रोजाना आने का सिलसिला जारी था।
लॉकडाउन में शराबबंदी के बीच रोज आने जाने वाले ऐसे लोग कई बार शराब पीने और खोजने के लिए पहुंचने लगे थे। ऐसे में उन्होंने गांव के लोगों, बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा व खुशहाली को लेकर बाहरी लोगों के गांव की सीमा में प्रवेश बंद करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। ग्रामीणों का कहना है कि लॉक डाउन की वजह से शराब बिक्री भी नियंत्रित हुई है। सरकार चाहे तो इस लॉक डाउन से सीख लेकर राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर सकती है। शराब विक्रय से गांव की भी बदनामी होती है।