कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को एक खत लिखा है. इस खत में उन्होंने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए इस ट्रस्ट का गठन किया गया है. दिग्विजय सिंह की आपत्ति महंत नृत्य गोपाल दास को अध्यक्ष और चंपत राय को महासचिव नियुक्त किए जाने को लेकर है.
कांग्रेस नेता का कहना है कि इन दोनों को सीबीआई ने 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में अभियुक्त बनाया था. इन पर साजिश रचने का आरोप था. हालांकि, लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने मई 2017 में इन दोनों को अन्य अभियुक्तों के साथ जमानत दे दी थी.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में श्री राम चन्द्र के मंदिर निर्माण के लिये रामालय ट्रस्ट का गठन हुआ था, जिसमें केवल धर्माचार्यों को ही रखा गया था. इसमें किसी राजनीतिक दल के व्यक्ति का मनोनयन नहीं हुआ था. उस समय जब रामालय ट्रस्ट का गठन हुआ तो मुझसे भी सहयोग के लिये कहा गया था, मुझसे जितना बना मैंने रामालय ट्रस्ट के गठन में सहयोग दिया. ऐसे में जब पहले से ही भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिये रामालय ट्रस्ट मौजूद है तो पृथक से ट्रस्ट बनाने का कोई औचित्य नही है.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से जो ट्रस्ट भगवान श्री रामचन्द्र जी के मंदिर निर्माण के लिये गठित किया गया है उसमें किसी भी प्रमाणित जगतगुरू शंकराचार्यों को स्थान नहीं दिया गया है, जिन्हे शंकराचार्य के नाम से मनोनीत किया गया है. श्री वासुदेवानंद जी, वो न्यायपालिका द्वारा पृथक किए गए हैं और उनके बारे में सनातन धर्म के जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी महाराज, जो द्वारका और जोशीमठ के शंकराचार्य है ने अपने वक्तव्य में जो कहा है वह संलग्न है. देश में सनातन धर्म के पांच शंकराचार्य के पीठ हैं, उनमें से ही ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना उपयुक्त होता जो नहीं हुआ.
दिग्विजय सिंह ने पत्र में योगी सरकार पर भी निशाना साधा है और लिखा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक भव्य मूर्ति बनाने की घोषणा की है जो कि सनातन धर्म की परंपराओं के विपरीत है. मन्दिर में दैनिक सेवा होती है, 220 मीटर ऊंची मूर्ति की सफाई कैसे होगी? जबकि उसको चिड़िया आदि गंदा कर देंगे. राम मंदिर निर्माण के लिए आपके द्वारा स्वीकृत ट्रस्ट को जिम्मेदारी ना देकर रामालय ट्रस्ट को ही जिम्मेदारी देनी चाहिए. रामालय ट्रस्ट ने मुझे अवगत कराया है कि वो मंदिर निर्माण के लिए एक पैसा सरकार से नहीं लेंगे.