भोपाल। राम वनगमन पथ निर्माण के लिए सरकार ट्रस्ट बनाएगी। निर्माण से जुड़े कामों की जिम्मेदारी सड़क विकास निगम की रहेगी। पहले चरण में 60 किलोमीटर का पथ निर्माण किया जाएगा। यह 30 किलोमीटर अमरकंटक और 30 किलोमीटर चित्रकूट क्षेत्र से लगा हुआ होगा।यह निर्णय गुरुवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में राम वनगमन पथ निर्माण को लेकर हुई समीक्षा बैठक में लिया गया। पथ के सर्वे के लिए सड़क विकास निगम को अधिकृत किया गया है। अध्यात्म मंत्री पीसी शर्मा विभागीय अधिकारियों के साथ जल्द ही प्रस्तावित मार्ग का जायजा लेने जाएंगे। बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी मौजूद थे।
सरकार ने राम वनगमन पथ का निर्माण करने के लिए बजट में 22 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। योजना को गति देने के लिए मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मंत्रालय में समीक्षा की। सूत्रों के मुताबिक अध्यात्म विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने योजना का ब्योरा दिया तो मुख्यमंत्री ने दो-टूक कहा कि कहानी नहीं, यह बताएं काम कब से शुरू कर देंगे। इसमें तेजी लाएं और जल्द ही ट्रस्ट बनाया जाए।
इसमें साधु-संतों और जनप्रतिनिधियों को शामिल करें। पूरा निर्माण ट्रस्ट की निगरानी में हो। पथ निर्माण के लिए भगवान राम के प्रति आस्था रखने वालों से भी आर्थिक सहयोग प्राप्त किया जाए। पथ निर्माण से जुड़े सर्वे सहित अन्य काम सड़क विकास निगम करे। निगम अध्यात्म विभाग के मार्गदर्शन में काम करेगा।
पथ निर्माण सर्वे के दौरान सरकारी, वन एवं निजी भूमि चि-त करके अधिग्रहण सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएं। पथ निर्माण की चौड़ाई आठ फीट रखी जाए। पथ के दोनों ओर पौधारोपण और सौंदर्यीकरण की योजना बनाई जाए। बैठक में यह भी तय किया गया कि चित्रकूट स्थित मंदिरों को मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर अधिनियम के तहत लाया जाएगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने श्रीलंका में सीता माता मंदिर के निर्माण को लेकर भी अधिकारियों से फीडबैक लिया। उन्होंने निर्देश दिए कि अधिकारियों का उच्च स्तरीय दल श्रीलंका भेजा जाए, जो वहां जाकर यह तय करे कि कौन क्या करेगा। सांची में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बौद्ध दर्शन केंद्र भी विकसित किया जाए।
इसके लिए अधिकारियों का दल विश्व प्रसिद्ध बोधगया देखे और प्रोजेक्ट बनाकर दे। सांची में जो भी काम किए जाने हैं, उसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट दस दिन में तैयार करें और 30 दिन में क्या-क्या काम किए जाने हैं, उसे अंतिम रूप दिया जाए। जापान, श्रीलंका सहित बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले देशों के प्रतिनिधियों से भी बात करके योजना बनाई जाए।