धार्मिक ग्रंथों में सूर्य के गोचर को संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तराय़ण होते हैं। सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस साल ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार सूर्य की मकर राशि में संक्रांति 15 जनवरी बुधवार को सुबह 7ः54 बजे होगी। इसलिए इसी दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा।
यह त्योहार देश भर में मनाया जाता है। हर राज्य में इसे अलग नाम और अलग परंपरा के साथ मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे थाईं पोंगल तो गुजरात में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। राजस्थान में महिलाएं इस दिन विवाहित महिलाओं को सुहाग का सामान देती हैं इसके साथ ही तिल पट्टी गजक लड्डू भीदी जाती हैं।
यही नहीं इस दिन श्रद्धालू गंगा यमुना गोदावरी कृष्णा कावेरी आदि पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। कहते हैं इस दिन स्नान का कई गुणा ज्यादा फल मिलता है। हर 12 साल में मकर संक्रांति के साथ कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन तिल के लड्डू गजक रेवड़ी मूंगफली और गर्म कपड़ों का दान किया जाता है।
इसलिए इस दिन दान स्नान का बहुत महत्व होता है। बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और शोभन व स्थिर योग रहेगा। गुरु व मंगल स्वराशि में होंगे। साथ ही बुधादित्य योग से पुण्यफल में वृद्धि होगी।
इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी बन रहा यह विशेष योग……
यह त्योहार देश भर में मनाया जाता है। हर राज्य में इसे अलग नाम और अलग परंपरा के साथ मनाया जाता है।