साल का पहला ग्रहण आज लग रहा है. यह ग्रहण पूर्ण ग्रहण न होकर एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा, जो पूर्ण चंद्र ग्रहण से काफी धुंधला होता है. इस चंद्र ग्रहण की अवधि कुल 4 घंटे 01 मिनट की होगी. इसके बाद साल 2020 में तीन और चंद्र ग्रहण पड़ेगें जो कि 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को होंगे. खास बात यह सभी ग्रहण उपच्छाया ग्रहण ही होंगे. आइए जानते हैं आज लगने वाले चंद्र ग्रहण के आरंभ, मध्यकाल और मोक्षकाल के बारे में.
आज लगने वाला चंद्र ग्रहण रात को 10 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा और अगली तारीख यानी 11 जनवरी को तड़के पौने तीन बजे तक चलेगा. भारत के अलावा ये ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया महाद्वीपों में भी देखा जा सकेगा.
इस बार का चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा. शास्त्रों में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण के रुप में नहीं माना जाता है. इसलिए आज पूर्णिमा तिथि के पर्व और त्योहार मनाए जा सकेंगे. इस ग्रहण में चंद्रमा मिथुन राशि में होगा, नक्षत्र पूर्नवसु रहेगा. मिथुन राशि के लोगों को चंद्र ग्रहण के समय सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी. पूर्नवसु नक्षत्र के लोगों को भी बेवजह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं.
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है और यही वजह कि बाकी ग्रहणों की तरह इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा. सूतक काल ना लगने के कारण ना ही आज मंदिरों के कपाट बंद किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी. इसलिए इस दिन आप सामान्य दिन की तरह ही सभी काम कर सकते हैं.
यह ग्रहण चन्द्रमा का उपच्छाया ग्रहण है. यह सामान्य रूप से देखा नहीं जा सकेगा. इसमें चन्द्रमा पर केवल छाया की स्थिति रहेगी. इसमें चन्द्रमा सामान्य रूप से नहीं देखा जा सकेगा इसलिए इसमें किसी के लिए कोई भी सूतक के नियम लागू नहीं होंगे. पूर्णिमा की पूजा उपासना भी विधि विधान से की जा सकेगी.
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है. इसे चंद्रग्रहण कहते हैं. जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है. चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है. एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है. सूर्यग्रहण की तरह ही चंद्रग्रहण भी आंशिक और पूर्ण हो सकता है.
इसका सीधा सा जवाब है कि चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना. उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है. जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है.
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है. सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है. इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है. लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है. लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है.