बिलासपुर। कहा जाता है कि शिक्षा पर सबका बराबरी का अधिकार है, लेकिन धरातल पर यह बात सकारात्मक रूप में अक्सर नजर नहीं आती। दरअसल देश में शिक्षा की व्यवस्था दो अलग-अलग रूपों में बंटी हुई है। शहरी और ग्रामीण व अमीरी और गरीबी के आधार पर बच्चों को शिक्षा मिलती है। संपन्न् और शहरी परिवारों के बच्चों के लिए हाईटेक स्कूल होते हैं, जबकि गरीब और ग्रामीण परिवारों के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल होते हैं, जहां आज भी पुराने ढर्रे पर शिक्षा व्यवस्था चल रही है। ऐसे में बिलासपुर संभाग के सुदूर वनांचल में एक ऐसा सरकारी स्कूल भी है जहां के बच्चे हाईटेक कंप्यूटर लैब में स्टडी करते हैं। मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए ई-क्लास की व्यवस्था इस सरकारी स्कूल में की गई है और यह स्कूल अब एक मॉडल स्कूल के रूप में अपनी पहचान कायम कर रहा है। सुदूर वनांचल में घने जंगलों के बीच मरवाही ब्लॉक के ग्राम नाका में स्थित स्कूल में शिक्षा की ज्योति जल रही है। इस स्कूल में पदस्थ शिक्षकों का शिक्षा और वनवासी बच्चों के प्रति समर्पण का भाव कहें या फिर अध्ययन अध्यापन के प्रति जुनून। बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए स्मार्ट क्लॉस का संचालन किया जा रहा है। छठवीं कक्षा की आदिवासी बालिका की उंगली जब कंप्यूटर के की बोर्ड पर चलती है तो देखते ही बनता है। कंप्यूटर के जरिए पढ़ाई के साथ ही नोट्स तैयार करने का काम बच्चे बखूबी कर रहे हैं। कहने को सरकारी स्कूल है, लेकिन यहां की व्यवस्था प्राइवेट स्कूल से भी बेहतर। इसके पीछे दोनों शिक्षकों का समर्पण कुछ कम नहीं । स्कूल में दो शिक्षक हैं। दोनों अपने वेतन के पैसे से स्कूल को स्मार्ट क्लास में तब्दील कर दिया है। बीते दिनों जिले के दो आइएएस अधिकारी निरीक्षण में निकले थे। स्कूल की व्यवस्था और पढ़ाई का स्तर देखकर दोनों अफसरों ने स्कूल के रजिस्टर में अपने मन की बात भी लिखी है।