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नेता जो एक बार वोट मांगने जनता के पास पहुंचते हैं दोबारा वह पलट कर नहीं देखते …….

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*कोई खुश तो कोई ना खुश*
*ईंट का जबाव पत्थर से कैसे दिया*
*ना जाने ऊठ किस करवट बैठता है*
*कौन बनेगा सिकंदर*
✍🏼 * साप्ताहिक समाचार पत्र*
* वशिष्ठ टाइम्स समाचार पत्र नरसिंहपुर*
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*नरसिंहपुर* विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिले में नेताओं द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं और करना भी चाहिए जिले की चारों सीटों पर वर्तमान में भाजपा का वर्चस्व रहा है और इतिहास यही भी रहा है कि एक बार से दूसरी बार एक ही दल को जिले की जनता ने लगातार मौका नहीं दिया इसी क्रम के चलते इस बार भाजपा द्वारा जोर शोर से मेहनत की जा रही है और प्रत्याशी अपने संपर्क जनता से मजबूत कर रहे हैं लेकिन विडंबना इस बात की बनती है कि कोई वर्तमान विधायकों से ना खुश तो कोई पूर्व विधायकों से ना खुश कोई अन्य लोगों से ना खुश है यह समीकरण को बिगाड़ने में काफी प्रभावी है जाहिर सी बात है कि नेता कोई भी हो पब्लिक को खुश करना बड़ा ही कठिन कार्य है
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*ईट का दबाव पत्थर से*
इसी क्रम के चलते दलबदलू नेताओं का बोलबाला बड़ा ही चल पड़ा है पूर्व में जिले के दो सरपंच द्वारा भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने की बात सामने आई उसके बाद कांग्रेस के जिला प्रवक्ता भी भाजपा में शामिल हो गए उसके उपरांत कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व विधायक ने पुन: कांग्रेस में वापसी ले ली जो भाजपा के लिये ईंट का दबाव पत्थर से साबित हो रहा है यह क्रम जारी था कि कुछ ग्रामीण व सक्रिय भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली जिससे उथल-पुथल मची हुई है फिलहाल दो और कद्दावर नेता भाजपा से कांग्रेस में शामिल होने की सूचना मिल रही है लेकिन जब तक सदस्ता नहीं लेते तब तक यह बात कहना उचित नहीं होगी लगातार दलबदलूऔ का दौर जारी है और नेता भी भरसक प्रयास कर रहे हैं जनता ऊब चुकी है भाजपा जनाधार खेती हुई नजर आ रही है लेकिन इस रण में कौन बाजी मारेगा यह कहा नहीं जा सकता जब कोई नेता संपर्क में निकलता है तो भीड़ समर्थकों की ही नजर आती है जनता कि नहीं यह बात भी काफी चिंतनीय है कुछ होशियार चंद अपनी होशियारी में हर चाय पान की दुकान में एक दो होशियार चंद मिलते हैं वह नेताजी की प्रशंसा करते रहते हैं लेकिन होशियार चंदओं को यह भी पता नहीं कि आखिर टिकट किसे मिल रही है बस वह तो आश्वासन के साथ नेता जी के गुणगान गली चौराहे में गाते रहते हैं भाजपा से जा रहे कार्यकर्ता हमेशा एक बात ही दोहराते हैं भाजपा की कार्यप्रणाली अच्छी है लेकिन कार्यनीति बिल्कुल समझ से परे हैं योजनाएं कागजों पर चल रही है स्वस्थ को लेकर सरकार कर्जे में है फिर भी स्वास्थ्य सेवाएं लचर नजर आ रही हैं शिक्षा में भी काफी घोर अनियमितताएं है जिससे जनता रूष्ठ है वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस के समय में भी यह सब बड़ी तादाद में हुआ जिससे जनता अव्यस्था का शिकार हुई और सत्ता परिवर्तन कर दिया था जनता को आस थी कि सत्ता परिवर्तन के बाद व्यवस्था परिवर्तन में भी अंतर आएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और जनता को हमेशा लॉलीपॉप देकर समझा दिया गया
*अन्य दल भी सक्रिय*
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विधानसभा चुनाव को देखते हुए अन्य दल भी काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं और वह ऐसी पार्टियां हैं जिनके पास कार्यकारणी भी नहीं है और ना ही पर्याप्त कार्यकर्ता है केवल वह अपनी चुनावी खुजली मिटाने में व्यस्त हैं हर गली चौराहे पर संपर्क साधते हुए नेताओं के गुणगान गये जा रहे हैं और समीकरण बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है हालांकि पूर्व में हुए चुनाव की अपेक्षा काफी कशमकश भरा चुनाव नजर आ रहा है जगह-जगह हुए विरोध से लोग समझ नहीं पा रहे कि आखिर इस बार सरकार कौन बनाएगा फिर भी नेताओं के प्रयास जारी हैं जिले में भ्रमण कर जनता से किए गए संपर्क में यह है सामने आया है कि जनता हर किसी नेता से रूस्ट है क्योंकि कोई अपराधिक प्रवृत्ति का है तो कोई अन्य धंधों में व्यस्त है तो कोई निष्क्रिय है सब एक दूसरे की टांग खींचने पर ही व्यस्त हैं तो विकास कहा से हो कुछ नेता ऐसे भी हैं जो एक बार वोट मांगने जनता के पास पहुंचते हैं दोबारा वह पलट कर नहीं देखते इससे भी जनता के मन में रोष है अब जनता भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य विकल्प की खोज में व्यस्त है और बिगड़ते समीकरण को देखते हुए कहीं ऐसा ना हो जिले की चारों सीट किसी अन्य दल के खाते में चली जाएं फिलहाल यह बात कहना उचित इसलिए नहीं है कि अन्य दल इतना सक्रिय प्रवृत्ति में अभी नही है यदि ऐसा होता है तो यह जनता की ही मनोवृति होगी जनता वोटिंग से पूर्व अच्छे दिन और अच्छी कार्यनीति के बारे में सोचती है लेकिन विगत 2014 के चुनाव की अपेक्षा जनता के मन में काफी अपेक्षा थी कि जिले में शिक्षा स्वास्थ सड़क इत्यादि मूलभूत सुविधाएं हर एक वर्ग हर एक गांव को प्राप्त होगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका और जनता फिर निराश नजर आई जिले में कई जगह जनता द्वारा बोर्ड लगा दिए गए की *रोड नहीं तो वोट नहीं* यह भी काफी सोचनीय है
जनता परिवर्तन की ओर है बस केवल परिवर्तन के साथ साथ जनता प्रत्याशी का चुनाव कर रही है कि कौन प्रत्याशी बनेगा और किस तरफ जनता का रुझान जाएगा कौन बनेगा सिकंदर हालांकि राजनीति और होशियार चंदो के इस दौर में काफी विसंगति उत्पन्न हो रही है कि आखिर किसके सर पर सेहरा बंधेग और कौन सिकंदर बनेगा यह बात जनता तय करेगी वर्तमान स्थिति को देखते हुए जनता का विश्वास स्थानीय प्रशासन से घटता हुआ नजर आ रहा है हाल में हुई कुछ घटनाओं से जलती हुई आग में झोंकने का काम किया जिसमें जिम्मेवार शासन की छवि दागदार हुई दागदारो के ऊपर कोई कार्यवाही ना करना असंतोष का कारण है वहीं भाजपा की सरकार होते हुए भी जनप्रतिनिधियों द्वारा मौन धारण करना भी जनता को समझ से परे रहा जो विधानसभा चुनाव 2018 में दुखदाई साबित होता नजर आ रहा है
*ऊठ किस करवट बैठता है*
चुनावी उथल पुथल के चलते जिले के दागदार छवि के नेताओ की टिकट कटने के आसार नजर आ रहे है कटती हुई टिकट मे उन नेताओ के नाम भी है जो विगत चुनाव मे लंबी बढत लेकर विजयी रहे है और उनमे से कुछ नेताओ को टिकट ना मिलने से कांग्रेस मे शामिल होने का व्यापक प्रचार जारी है
16/10/2018
📰📰वशिष्ठ टाइम्स समाचार पत्र नरसिंहपुर📰📰

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