कृषि के क्षेत्र में नवीन प्रयोग यानी नवाचार कर रहे युवाओं को अब कहीं भटकने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में शुरू हुआ राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज) प्रयोगवादी युवाओं को नया मंच देगा। इससे कोर्स करने वालों को नया उद्यम स्थापित करने में विवि सहयोग करेगा, वहीं स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए उन्हें बैंकों से कर्ज मिलेगा। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने कृषि स्नातकों, कृषि संकाय से हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण प्रयोगवादी युवाओं लिए कृषि क्लिनिक और कृषि व्यवसाय केंद्र (एसी एंड एबीसी) योजना शुरू की है। योजना के तहत कृषि क्लिनिक एवं कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना के इच्छुक उद्यमियों को 45 दिनों का आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
भारत सरकार से अनुबंध
कृषि छात्रों को नया मंच मिले, इसके लिए विवि ने भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के संगठन राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान (मैनेज) हैदराबाद के साथ अनुबंध किया है। विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटील ने गुरुवार को केंद्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी के दौर में भी कृषि ऐसा क्षेत्र है, जहां अधिकाधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है और नये रोजगार की संभावनाएं भी हैं। उन्होंने कृषि उद्यमिता विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रम में चयनित युवाओं को बेहतर कार्य करने की सीख दी।
परियोजना लागत का 44 प्रतिशत तक अनुदान
सी एंड एबीसी योजना के तहत 45 दिन के प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थी अपनी रुचि के अनुरूप उद्यम स्थापित कर सकते है। उद्यम के आधार पर उन्हें बैंकों से कर्ज भी मिल जाएगा। इन्हें कृषि क्लीनिक और कृषि व्यवसाय केंद्र स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड से 20 लाख रुपये का व्यक्तिगत ऋ ण और एक करोड़ रुपये तक का समूह ऋ ण उपलब्ध कराया जाएगा। उद्यमियों को ऋ ण पर परियोजना लागत का 36 से 44 प्रतिशत तक अनुदान भी प्राप्त होगा। कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. गौतम राय ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उद्यमियों को कृषि क्लिनिक एवं कृषि व्यवसाय से संबंधित विषयों, प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाएगी।