श्योपुर । श्योपुर के जिन जंगलों में कभी डकैतों का राज हुआ करता था, उन जंगलों में अब मिलावट के माफियाें ने पांव जमा लिए हैं। जंगल में ऐसी-ऐसी जगहों पर मिलावटी मावा और दूध बनाने का काम हो रहा है, जहां पहुंचना तक आसान नहीं। इसीलिए मिलावटखोरों को न प्रशासन का डर है, न ह किसी कार्रवाई का। गौरतलब है कि दीपावली से पहले प्रदेश सरकार मिलावट के खिलाफ सख्त हो गई थी। इसके बाद ग्वालियर-चंबल संभाग के हर जिले में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए मिलावटियों पर मुकदमा दर्ज किया गया। मिलावटी खाद्य सामग्री को नष्ट किया गया। इस कार्रवाई का खौफ ऐसा बढ़ा कि जिन शहर, कस्बे व गांवों में मिलावटी दूध, घी, पनीर आदि तैयार होता था, वहां के प्लांटों पर ताले लग गए। इन मिलावटियों ने सुरक्षित स्थान के तौर पर श्योपुर जिले के जंगलों का रुख कर लिया है। श्योपुर और कराहल के जंगलों में गोरस, डोब, पातालगढ़, झरेर, डाबली, पिपरानी, चितारा आदि के जंगलों मे मिलावटी मावा और दूध बनाने के प्लांट चल रहे हैं। उधर विजयपुर के अगरा, ऊमरी, खाड़ी, बवनवास आदि जंगलों में यह काला कारोबार संचालित है। बीते डेढ़ महीने में जंगलों में मिलावटखोरों ने पांव जमाए और धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। जिला प्रशासन या पुलिस के हाथ अब तक जंगल में चल रहे मिलावट के कारोबार तक नहीं पहुंच पाए हैं।
कोटा जा रहा मिलावटी दूध, पनीर और मावा
विजयपुर व श्यामपुर क्षेत्र के घने डोब के जंगलों में बन रहे मिलावटी दूध-मावा को बसों व नैरोगेज ट्रेन के जरिए कैलारस, जौरा और ग्वालियर तक पहुंचाया जा रहा है। जबकि श्योपुर एवं कराहल में पातालगढ़ के जंगलों में बन रहे मिलावटी पनीर, मावा को रात के अंधेरे में ट्रांसपोर्ट की गाड़ी या मिनी लोडिंग से राजस्थान के कोटा में सप्लाई किया जा रहा है। मिलावटी दूध को सप्लाई करने के लिए हर गांवों में टैंकर पहुंच रहे हैं। विजयपुर क्षेत्र में दिन के समय यह टैंकर निकलकर मुरैना की ओर जाते देखे जा सकते हैं।
बिना फूड इंस्पेक्टर मिलावटियों की चांदी
फूड सेफ्टी ऑफिसर गिरीश राजौरिया के सस्पेंड होने के बाद से श्योपुर जिले में बीते साढ़े तीन महीने से फूड सेफ्टी ऑफिसर ही नहीं है। ऐसे में प्रशासन ने व्यवस्थाओं के लिए ग्वालियर के फूड सेफ्टी ऑफिसर आनंद शर्मा को श्योपुर का प्रभार दिया है, लेकिन आनंद शर्मा श्योपुर न के बराबर ही आते हैं। इसी का फायदा उठाकर मिलावटियों ने जंगल में पांव जमा लिए हैं। मिलावट के खिलाफ जिला मुख्यालय से लेकर कस्बों तक में हम प्रभावी कार्रवाई कर रहे हैं। जंगली क्षेत्र में मिलावटी मावा, दूध व पनीर बनने जैसी कोई शिकायत अब तक नहीं मिली है। अगर ऐसा है तो हम पुलिस की मदद से ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।