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तीन साल से छोटे बच्चे को शक्कर किसी भी रूप में न खिलाएं…

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तीन साल से छोटे बच्चे को शक्कर किसी भी रूप में न खिलाएं। वजह, भविष्य में उसके लिवर में चर्बी जमा होने (फैटी लिवर) की बीमारी का खतरा रहेगा। लिवर की 40 फीसदी बीमारियां फैटी लिवर के कारण हो रही हैं। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट की बीमारियों का खतरा भी लिवर में चर्बी जमा होने की वजह से बढ़ जाता है। यह कहना है कि दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंस (आईएलबीएस) के डायरेक्टर व लिवर रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. शिव कुमार सरीन का। वह यहां शनिवार को मधुमेह व हृदय रोग पर आयोजित दो दिनी सम्मलेन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा भारत में हर पांचवां व्यक्ति फैटी लिवर की बीमारी का शिकार है। उनका कहना है कि लिवर में पांच फीसदी से ज्यादा चर्बी नहीं होनी चाहिए पर लगभग सभी के लिवर में 10 से 15 फीसदी तक चर्बी जमा है। लिवर में चर्बी ज्यादा होने के बाद गाल ब्लाडर में स्टोन बनता है। इसके कुछ सालों बाद डायबिटीज की बीमारी हो जाती है। सबसे खतरनाक स्थिति तब बनती है जब ज्यादा चर्बी के चलते लिवर सूखने लगता है और सिरोसिस हो जाता है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार से अपील की है कि शक्कर और शराब पर टैक्स बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे इनका उपयोग कम हो।

शक्कर लिवर के लिए इसलिए खतरनाक

डॉ. सरीन ने बताया कि शक्कर खाने पर वह लिवर व मांसपेशियों में जाती है। व्यायाम नहीं करने की वजह से मांसपेशियां सक्रिय नहीं होती। इस कारण यह फैट भी लिवर में जाकर इकठ्ठा हो जाती है।

यह लोग ज्यादा सतर्क रहें

– माता-पिता में से किसी को शुगर, हाई बीपी, कोलेस्ट्राल, गाल ब्लाडर में पथरी है या फिर वह मोटे हैं तो बच्चों को फैटी लिवर हो सकता है। उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है।

– जिनकी उम्र 45 साल से ज्यादा है। डायबिटीज हो चुका है। इसका मतलब उनके लिवर में दो तिहाई चर्बी जमा है।

एसजीपीटी जांच से पता चल जाता है फैटी लिवर

डॉ. सरीन ने बताया कि 50 रुपए से भी कम के ब्ल्ड टेस्ट (एसजीपीटी) से फैटी लिवर का पता चल जाता है। यह 30 से कम होना चाहिए। 80 से ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए। इसके अलावा सोनोग्राफी व फाइब्रोस्कैन से भी फैटी लिवर का पता चलता है।

लिवर से फैट कम करने के लिए यह करें

– रंगीन सब्जियां व कच्ची हल्दी का सेवन करें।

– अखरोट का सेवन करें।

– नियमित व्यायाम करें।

– शक्कर की जगह गुड़ का सेवन करें।

– पुरुषों के लिए आदर्श वजन ऊंचाई (सेमी में) 100 कम करने व महिलाओं के लिए 105 कम करने का बाद का है। मसलन किसी पुरुष की ऊंचाई 167 सेमी है तो वजन 67 से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

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