मुरैना। युवती को गोली मारने वाला आरोपित जैन समाज के कार्यक्रम के बाहर अपने साथियों के साथ बाइक से आया था। जब युवती अपनी बहन व सहेलियों के साथ कार्यक्रम से निकली और अपने घर जाने लगी तो आरोपित व उसके साथियों ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। इसी दौरान एक आरोपित जिसका नाम विशाल भार्गव बताया जा रहा है, वह कट्टा लेकर युवतियों के पीछे दौड़ने लगा। युवतियां अपनी जान बचाने के लिए भाग रही थीं। प्राइमरी स्कूल के पास एक आरोपित ने कट्टे से दो फायर किए। दोनों गोलियां अंजली को लगीं, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद आरोपित भाग गए। घटना के बारे में जैन समाज के महावीर जैन ने बताया कि अंजली के साथ उसकी बेटी प्रियांसी व दो अन्य लड़कियां थी। ये कोचिंग से कार्यक्रम स्थल पर आई थीं और खाना खाकर शाम साढ़े छह बजे जोंटई रोड अपने घर जा रही थीं। जैसे ही उसकी बेटी प्रियांसी सहित चारों लड़कियां बाहर निकलीं तो विशाल भार्गव अपने साथियों के साथ बाइक से आ गया। वह चारों लड़कियों का पीछा करने लगा। उनसे बचने के लिए चारों लड़कियां भगाने लगी। तभी विशाल भार्गव कट्टा लेकर उनके पीछे भागने लगा। मेरी बेटी प्रियांसी ने उन्हें फोन भी लगाया। इसी दौरान प्राइमरी स्कूल के सामने आरोपित ने कट्टे से फायरिंग शुरू कर दी। गोली अंजली को लगी और मेरी बेटी बाल-बाल बच गई। अंजली 12वीं की छात्रा थी। बताया जाता है कि जिस आरोपित ने गोली मारी है, वह पहले से उसका पीछा करता रहा है।
आज भी वह पीछा करने आया। मृतका के पिता उदयभान ने भी बताया कि आरोपित उसे परेशान करता था। उसे पहले समझा भी दिया था, लेकिन वह नहीं माना। अंजली को गोली लगने के बाद परिजन व आसपास के लोग तुरंत पोरसा अस्पताल लेकर आए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अंजली को मृत घोषित करते ही परिजनों व अन्य लोगों का आक्रोश भड़क गया। वे शव को लेकर थाने पहुंचे। उन्होंने थाने के सामने जाम लगा दिया। जाम लगाने के दौरान लोग और अधिक उत्तेजित हो गए और उन्होंने थाने में तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। इस दौरान लोगों ने पुलिस के वाहन के कांच आदि तोड़ दिए। हालांकि सूचना मिलते ही आसपास के पुलिस बल को भी पोरसा भेज दिया गया। बाद में एसपी डॉ. असित यादव भी मौके पर पहुंच गए। आक्रोशित परिजन थाने के सामने बैठे थे। उनका कहना था कि जब तक आरोपित पकड़े नहीं जाते हैं तब तक वे थाने के सामने से नहीं उठेंगे। हालांकि एसपी सहित अन्य पुलिस अफसर उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे थे। पुलिस की एक टीम लगातार आरोपितों को तलाशने के लिए दबिश दे रही थी। पोरसा थाने में तोड़फोड़ की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 2004 में बीएसएफ जवान की पुलिस की गोली से मौत के बाद आक्रोशित लोगों ने थाने में तोड़फोड़ की थी और आग लगा दी थी। हालांकि बुधवार को पुलिस ने मामले को संभाल लिया और पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भी बुला लिया। पोरसा में मुख्य सड़क कस्बे के बीच से निकली है। करीब आधा किमी लंबाई में भीड़ के जमा होने से जाम लगा था। इसलिए भिण्ड, अटेर व मुरैना जाने वाले वाहन गांधीनगर से होकर निकल रहे थे।