रायपुर। निजी नर्सिंग कॉलेजों की अधिकांश सीटें इस साल भी नहीं भर पाईं। इस बार भी पिछली साल की तरह 1,153 बीएससी नर्सिंग के पाठ्यक्रम की सीटें नहीं भर पाईं। 95 निजी नर्सिंग कॉलेजों में बीएससी के कोर्स की अधिकांश सीटें खाली रह गईं। इसमें जीरो इयर घोषित होने के बाद पाठ्यक्रम की मान्यता पाने वाले 17 नर्सिंग कॉलेज है, जबकि सभी आठ सरकारी नर्सिंग कॉलेजों की सीटें फुल हो गई हैं। ऐसे में खाली सीटें भरने के लिए संचालनालय चिकित्सा शिक्षा ने बीएससी नर्सिंग के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। गुरुवार को भी ऑनलाइन पंजीयन कराने के लिए अभी तक कोई नहीं आया है। प्रवेश के लिए 30 नवंबर अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। दूसरे दौर के शुरू हुए मापअप राउंड शुरू किए गए हैं। कहीं से भी प्रवेश के अंतिम दिन रात्रि 11 बजकर 59 मिनट का टाइम लाइन दिया गया है। ये सभी सीटें अनाराक्षित वर्ग की हैं। बहरहाल सबसे पहले स्क्रूटनी कराने वाले छात्रों को इसमें प्रवेश दिया जाएगा। इसमें जैसा कि पूर्व में भी रहा कि सभी शासकीय एवं निजी नर्सिंग महाविद्यालयों को सभी प्रकार के सीटों के आवंटन संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा गठित समिति द्वारा किया जाएगा। लेकिन इधर, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की दलील है कि छात्रों आवंटित सीटों में रूचि नहीं दिखाए। बता दें कि छत्तीसगढ़ के आठ सरकारी और 95 निजी नर्सिंग कॉलेजों में बीएससी की 4600 सीटें हैं। पिछले वर्ष भी 1480 सीटें खाली रह गई थीं। निजी नर्सिंग कॉलेज की बीएससी की सीटें खाली ही रह जाती हैं, जबकि इन्होंने अपने यहां बीएससी के पाठ्यक्रमों के सीटों की मान्यता अधिक ली है। इसके बावजूद आवंटित सीटें भर नहीं पाती हैं। इसके पीछे कारण है कि जगह-जगह 20 से 25 सीटों की मान्यता दी गई है। छात्रों की संख्या अब कम पड़ने लगी है। इसमें खासकर निजी कॉलेजों में नर्सिंग कोर्स संचालित करने की मान्यता के हिसाब से मानकों को पूरा नहीं किया गया है। इसके चलते भी यहां छात्र रूचि नहीं दिखा रहे हैं। 30 निजी नर्सिंग कॉलेज में जीरो इयर घोषित होने के बाद हाई पावर कमेटी की हरी झंडी मिलने के बाद 17 निजी नर्सिंग कॉलेजों के पाठ्यक्रमों की सिर्फ एक साल के लिए मान्यता दे दी गई है। ये कॉलेज पहले राउंडअप में शामिल नहीं थे। इनके पास 400 सीटें हैं, जबकि अन्य ऐसी सीटें है, जो किसी भी निजी कॉलेज की नहीं भरी हैं।