रायपुर। प्रदेश में बाघों की संख्या में गिरावट आने के बाद वन विभाग पहली बार पांच सौ ट्रैप कैमरे से बाघों की गणना करेगा। गणना नवंबर से शुरू होकर फरवरी तक होनी थी, लेकिन विभाग ने जनवरी से अप्रैल तक करने का निर्णय लिया है। वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ठंड के मौसम में वन्यजीव दुबके रहते हैं, बाहर नहीं निकलते, जिससे गणना नहीं हो पाती। विभाग ने गणना की तैयारी पूरी कर ली है। बाघों की संख्या में गिरावट आने से वन विभाग इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस बार कैमरों की संख्या में इजाफा किया जाएगा। ज्ञात हो कि वन विभाग ने पांच अभयारण्य और फारेस्ट रिजर्व परिक्षेत्र में 40 से ऊपर बाघ होने का दावा किया था, लेकिन सिर्फ 19 मिले हैं। वन विभाग ने अचानकमार अभयारण्य के 914.17 वर्ग किमी, उदंती सीतानदी के 1842.540 वर्ग किमी, इंद्रावती फारेस्ट रिजर्व के 2799.07 वर्ग किमी के साथ भोरमदेव और गुरुघासीदास अभयारण्य में ट्रैप कैमरे से गणना की थी।
विभाग के अधिकारी ने बताया कि पिछली बार बाघों की गणना के लिए 200 ट्रैप कैमरे लगाए गए थे। कैमरे कम होने की वजह से बहुत से इलाके कवर नहीं हो पाए, इसलिए इस बार संख्या बढ़ाकर 500 ट्रैप कैमरे लगाने की तैयारी की जा रही है। इनमें विभाग के 200 ट्रैप कैमरे होंगे और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया 300 ट्रैप कैमरे विभाग को मुहैया कराएगा। अभयारण्य में प्रत्येक दो वर्ग किलोमीटर की दूरी पर एक-एक ट्रैप कैमरा लगाया जाएगा। इंद्रावती टाइगर रिजर्व के कुछ इलाके में नक्सलियों की खौफ के चलते वन विभाग की टीम ट्रैप कैमरा नहीं लगा पाती है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि इस बार सभी जगहों पर ट्रैप कैमरे से गणना की जाएगी। दूसरी ओर विशेषज्ञों का मानना है कि धुर नक्सल इलाके के जंगलों में बाघ की गणना करने का दावा वन विभागभले ही कर रहा हो, लेकिन यह टेढ़ी खीर साबित होगी।