रायपुर। छत्तीसगढ़ में तृतीय लिंग समुदाय के लिए हो रहे उल्लेखनीय कार्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से प्रकाशित किया है। राज्य सरकार इस वर्ग के कल्याण के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रही है। तृतीय लिंग समुदाय को लिंग चयन के साथ ऑपरेशन, सरकारी नौकरियों में आरक्षण के साथ ही नई उद्योग नीति में भी इस वर्ग के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। न्यूयार्क टाइम्स में आर्टिकल ‘माई लोनलीनेस किप मी गोइंग, फाइटिंग फॉर इक्वलिटी इन इंडिया” टाइटल के साथ प्रकाशित हुआ है। इस आर्टिकल में इस समुदाय से जुड़ी विद्या के संघर्ष की कहानी को शामिल किया गया है। राज्य में इस तरह के कार्यों के चलते तृतीय लिंग समुदाय के जीवन में व्यापक बदलाव आया है और यह अब मुख्यधारा से जुड़कर विकास कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के जरिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ के तृतीय लिंग समुदाय के लोगों की उपलब्धियों और विकास को लेकर प्रकाशित आलेख के विषय में छत्तीसगढ़ की तृतीय लिंग समुदाय के लोगों के अधिकारों के संघर्ष कर रही संस्था ‘मितवा” की प्रमुख विद्या राजपूत सोनी ने कहा कि जब इस समाचार का लिंक मेरे ह्वाट्सएप पर आया और मैंने इसे पढ़ा तो बहुत भावुक हो गई।
आज हमारे संगठन के द्वारा हो रहे कार्यों की सभी जगह सराहना हो रही है। यह अपने आप में पूरे भारत में गर्व का विषय है। सन 2009 से जो संघर्ष का दौर शुरू हुआ था वह आज अपने सुखद पड़ाव पर पहुंच चुका है। स्वयं तृतीय लिंग समुदाय से आने वाली विद्या आगे कहती हैं कि चाहे पुलिस की भर्ती हो, नि:शुल्क आवासीय व्यवस्था हो, अन्य सरकार की कल्याणकारी नीतियां हों, सभी कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मॉडल राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ को देखा जा रहा है। शुरुआती दौर में मेरे लिए संघर्ष के पल बहुत कठिन थे। आज अपने लक्ष्यों को पूरा होते देख मुझे बहुत ही सुकून का अनुभव होता है। आज भी तृतीय लिंग समुदाय के अंदर बहुत सारी समस्याएं हैं, परेशानियां हैं, लेकिन हम अपने मेहनत और इच्छाशक्ति से इन बाधाओं को पार कर रहे हैं। कई बार ऐसी चुनौतियां आती है कि लगता है सामने बहुत अंधेरा है, लेकिन दूसरे ही क्षण एक आशा भरा सवेरा सामने आ जाता है। विकास की यह इबारत इस कारण लिखी जा सकी, क्योंकि सच में छत्तीसगढ़ के लोग बहुत ही संवेदनशील और सहयोगात्मक हैं। यह उपलब्धियां केवल मेरी ही नहीं पूरे राज्य के लोगों की है।