बिलासपुर। खेती किसानी के मौसम में समय पर खेत की जुताई या मताई के लिए ट्रैक्टर नहीं मिल रहा है तो अब चिंता करने की बात नहीं है। केंद्र सरकार ने एक ऐसा ऐप बनाया है जिसके जरिए कैब की तरह किसान किराए पर ट्रैक्टर मंगा सकेंगे। अभी तक एप के जरिए कैब मंगाने की सुविधा ही मिल रही है। केंद्र सरकार ने एक ऐसे एप लांच किया है, जो किसानों के लिए वरदान साबित होगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सीएचसी फार्म मशीनरी नाम से एक एप जारी किया है। इस एप के जरिए खेती किसानी के लिए किसान किराए पर ट्रैक्टर मंगा सकेंगे। किराया का निर्धारण भी कृषि मंत्रालय ने कर दिया है। यह एप उसी तरह काम करता है जैसे ओला, उबर के एप काम करता है। किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए खेती से जुड़ी मशीन दी जाएगी। कृषि विभाग के एक आला अधिकारी की मानें तो केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा देशभर में 35 हजार कस्टम हायरिंग सेंटर्स खोले जा चुके हैं।
राजधानी रायपुर और बिलासपुर में जल्द इसकी शुरुआत होने वाली है। हायरिंग सेंटर में कृषि कार्य में उपयोग आने वाले अत्याधुनिक सामानों को रखा जाएगा। किसानों के लिए राहत वाली बात ये है कि सीएचसी हायरिंग सेंटर के जरिए कृषि मंत्रालय द्वारा किसानों को कृषि कार्य के लिए सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। यह सामग्री किसान चाहें तो कृषि कार्य करने एक सीजन के लिए ले सकते हैं। किराए का निर्धारण कृषि मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। अलग-अलग अवधि के लिए किराए का निर्धारण भी अलग रहेगा। गूगल प्ले स्टोर पर यह एप हिंदी, अंग्रेजी के अलावा तकरीबन 12 भाषाओं में उपलब्ध है। एप को डाउनलोड करने के बाद भाषा चुनने का आप्शन आएगा। अगले चरण में सीएचसी सर्विस प्रोवाइडर के साथ ही किसान या उपयोगकर्ता का आप्शन आएगा। इसमें क्लिक करने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगा। ट्रैक्टर सहित कृषि के उपयोग आने वाले अन्य सामानों की सूची दी गई है। जिस सामान की किराए पर जरूरत है उसे टिक करना पड़ेगा। धान के पौधों में बाली आने पर कीट प्रकोप का सबसे ज्यादा खतरा है। तब दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है। दवा के छिड़काव के लिए अत्याधुनिक मशीनों की जरूरत पड़ती है। मशीन न मिलने के कारण किसान डस्टर सहित अन्य विकल्प के आधार पर दवाओं का छिड़काव करते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक साबित होता है।