बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में मुस्लिम शिक्षक के संस्कृत पढ़ाने पर विवाद चल रहा है लेकिन इंदौर के संस्कृत महाविद्यालय में मुस्लिम छात्र भी संस्कृत पढ़ रहे हैं। यहां की छात्रा रही फरहाना 15 सालों से छात्रों को संस्कृत पढ़ा रही हैं। वे अभी महिदपुर के शासकीय बालक उत्कृष्ट स्कूल में संस्कृत की शिक्षिका पर पदस्थ हैं। इंदौर के संस्कृत कॉलेज में 35 वर्षों में 5 मुस्लिम छात्रों ने संस्कृत का अध्ययन किया। अभी यहां दो छात्र पढ़ रहे हैं। संस्कृत महाविद्यालय में 736 छात्र पढ़ रहे हैं। यहां एमए साहित्य, एमए विशिष्ट संस्कृत (प्राच्य), आचार्य (फलित ज्योतिष) विषय उपलब्ध हैं। स्कूली छात्रों के लिए प्रथमा, मध्यमा में कक्षा कक्षा नौवीं, 10वीं, 11वीं व 12वीं के 11 छात्र पढ़ रहे हैं। फरहाना खान व फायजा खान चचेरी बहनें हैं।
वे मुस्लिम पठान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। 20 साल पहले उनके पास उर्दू व अंग्रेजी साहित्य जैसे कई विषयों में स्नातकोत्तर करने का विकल्प था लेकिन लीक से हटकर कुछ करने के लिए उन्होंने एमए संस्कृत में प्रवेश लिया। वर्तमान में फरहाना महिदपुर के शासकीय बालक उत्कृष्ट स्कूल में छात्रों को पढ़ा रही हैं। सुबह जब ये बच्चों से मिलती है तो उनसे नमो-नमो के अभिवादन से बात करती हैं। वे बताती हैं कि जब वो बच्चों को पढ़ाती हैं तो कई बच्चे मेरा नाम सुनकर आश्चर्य करते हैं। कई बच्चे मुझे देखकर बच्चे प्रेरित होते हैं और संस्कृत सीखने आते हैं। उनकी बहन फायजा खान ने भी एम संस्कृत की डिग्री साथ ही ली और 15 वर्षों तक वो मल्हार आश्रम स्कूल व कला विद्या मंदिर स्कूल में छात्रों को संस्कृत पढ़ाया। संस्कृत महाविद्यालय में 1984 में छात्र सैय्यद ने बीए विषय में प्रवेश लिया था। वो बीए द्वितीय वर्ष तक पढ़ा और उसके बाद उसका चयन बीएएमएस कोर्स में हो गया तो वो वहां चला गया। 20 साल पहले फरहाना और फायजा ने संस्कृत कॉलेज में प्रवेश लिया था। वर्तमान में संस्कृत कॉलेज में दो मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं।
मनावर (धार) के रहने वाले मो. इरफान खान संस्कृत कॉलेज के बीए फाइनल ईयर के छात्र है। उनके मुताबिक संस्कृत भाषा प्राचीन और काफी प्रभावी है। संस्कृत से ही हिंदी भाषा का जन्म हुआ। इस वजह से उन्होंने संस्कृत भाषा पढ़ने का निर्णय लिया। इसमें परिवार ने भी सहयोग दिया। देवास जिले के रामपुरा गांव में रहने वाले मोइनुद्दीन अमन दितावत बीए प्रथम वर्ष के छात्र हैं। उनका कहना है कि उन्होंने 10वीं में संस्कृत पढ़ी थी और उसके बाद अब कॉलेज में पढ़ रहा हूं। संस्कृत भाषा से सामाजिक ज्ञान मिलता है। इसी कारण उन्होंने संस्कृत पढ़ने का निर्णय लिया। हमारे यहां सभी धर्मों के छात्र संस्कृत पढ़ने आते हैं। 90 प्रतिशत छात्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं। संस्कृत विषय के क्षेत्र में कई पद रिक्त हैं। सेना व शिक्षण में संस्कृत विषय के शिक्षक की काफी मांग है। इसके अलावा हमारे यहां पढ़े छात्र विदेशों में भी पहुंचे हैं।