रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया है कि ‘मन से आपने ये कैसी माफी दी, ये तो देश से आपने नाइंसाफी की” इस पर कांग्रेस की ओर से रिट्वीट हुआ है। आखिरकार मोदीजी ने प्रज्ञा ठाकुर को दिल से माफ कर ही दिया! आतंकी हमले की आरोपी को रक्षा मंत्रालय की समिति में जगह देना उन वीर जवानों का अपमान है, जो आतंकवादियों से देश की रक्षा करते हैं। मुख्यमंत्री और कांग्रेस की ओर से हुए इस ट्वीट पर एक बार फिर राजनीति गरमा रही है। सोशल मीडिया में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर का विवादित बयानों से गहरा नाता है। गौरतलब है कि विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाल साध्वी प्रज्ञा को रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति में सदस्य नामित किया गया है।
21 सदस्यों की इस समिति की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा की जा रही है। साध्वी प्रज्ञा को इस समिति में लिया जाना इस लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वह मालेगांव बम धमाकों के मामले में अंडर ट्रायल हैं। बता दें कि साध्वी प्रज्ञा मध्यप्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भारी मतों के अंतर से पराजित करके संसद पहुंचीं हैं। जानकारी के अनुसार इस समिति में फारुक अब्दुल्ला, ए. राजा, मीनाक्षी लेखी, शरद पवार, सुप्रिया सुले, राकेश सिंह, जेपी नड्डा सहित अन्य सदस्यों को जगह मिली है। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का विवादित बयानों से गहरा नाता है। अपने बयानों की वजह से कई बार वह सुर्खियों में आ चुकी हैं।
जब उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया था उस वक्त उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। इसके साथ ही उनके द्वारा भाजपा नेताओं पर ‘मारक शक्ति’ इस्तेमाल करने का बयान भी विवादों में रहा था। सांसद बनने के बाद भोपाल में नालियों की सफाई को लेकर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था कि वह नालियों की सफाई कराने के लिए सांसद नहीं बनी है। उन्होंने शहीद हेमंत करकरे को लेकर भी विवादित बयान दिया।साल 2008 में मालेगांव में हुए बम धमाकों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा को आरोपी बनाया। उन पर महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) के तहत आरोप दर्ज किए गए थे। हालांकि कोर्ट में यह आरोप खारिज हो गए थे। फिलहाल उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (निरोधक) एक्ट के तहत विभिन्न् मामलों में प्रकरण विचाराधीन है।