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म्यूचुअल फंड…

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इक्विटी म्यूचुअल फंड को खरीदकर हमेशा के लिए होल्ड करने से हो सकता है कि फायदा न मिले। इन्वेस्टमेंट अडवाइजर्स का कहना है कि इक्विटी स्कीमों के बीच टॉप पर्फॉर्मर्स और बदतर प्रदर्शन करने वाली स्कीमों के बीच के अंतर को देखते हुए निवेशकों के लिए अपनी होल्डिंग्स की समीक्षा पहले के मुकाबले ज्यादा जल्दी करना अहम बना दिया है। उदाहरण के लिए, पिछले सालभर में लार्ज कैप्स में बेहतरीन प्रदर्शन वाले फंड ऐक्सिस ब्लूचिप ने 24.71 प्रतिशत रिटर्न दिया है। वहीं इसी कैटिगरी की फ्रैंकलिन इंडिया ब्लूचिप ने 6.22 प्रतिशत रिटर्न दिया है। इनके रिटर्न में करीब 17 प्रतिशत का अंतर है। मल्टी-कैप फंड कैटिगरी में IIFL फोकस्ड फंड ने सालभर में 27.65 प्रतिशत रिटर्न दिया है, जबकि ICICI फोकस्ड ने 0.5 प्रतिशत रिटर्न दिया है। शेयर मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ने के कारण कुछ ब्लू चिप शेयरों का प्रदर्शन बाकियों से बेहतर हो गया है। जिन फंड्स ने इन ब्लू चिप शेयरों में निवेश किया था, उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है। ऐक्सिस ब्लूचिप जैसे फंड्स ने ज्यादा कैश होल्डिंग्स के कारण भी अच्छा परफॉर्म किया है।

कुछ कमजोर प्रदर्शन वाली स्कीमों ने उन शेयरों में पैसा लगा दिया था, जिनके कॉरपोरेट गवर्नेंस का हाल खराब था और हाल के दिनों में इसके चलते इनकी पिटाई हुई है। निवेशकों के लिए हर साल बेस्ट परफॉर्मर की पहचान करना आसान नहीं होता, लेकिन जिस फंड का प्रदर्शन लगातार अच्छा चल रहा हो, वह अलग दिख ही जाता है। इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स पोर्टफोलियो की सेहत का मूल्यांकन करने के लिए अलग-अलग अवधियों को पैमाना बनाते हैं। उनमें से कई के लिए तीन साल की अवधि यह देखने के लिए पर्याप्त होती है कि स्कीम से एग्जिट कर जाना है या नहीं। मुंबई से काम करने वाले फाइनेंशियल प्लानर और प्लान रूपी के फाउंडर अमोल जोशी ने कहा, ‘छह महीने या सालभर में पोर्टफोलियो का रिव्यू कर ही लेना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘अगर उसी कैटेगरी में प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले प्रदर्शन कहीं ज्यादा कमजोर है और तीन साल से ज्यादा समय तक ऐसी स्थिति बनी रहे तो निवेशकों को उन वजहों को समझना चाहिए, जिनके कारण ऐसी स्थिति बनी और फंड से किनारा करने में हिचकना नहीं चाहिए।’ मिड और स्मॉल कैप फंड कैटेगरीज ने भी इस तरह के ट्रेंड दिखाए हैं। तीन साल की अवधि में एक्सिस मिड कैप फंड ने 15.43 प्रतिशत जबकि SBI मिड कैप फंड ने 1.43 प्रतिशत रिटर्न दिया है। पांच साल की अवधि में देखें तो HDFC स्मॉल कैप ने 18.93 प्रतिशत जबकि क्वान्ट स्मॉल कैप ने 0.76 प्रतिशत रिटर्न दिया है। चेन्नई की क्रेडो कैपिटल के फाउंडर शंकर एस ने कहा, ‘अगर कोई फंड अपनी कैटेगरी के मुकाबले तीन साल तक कमजोर प्रदर्शन करता रहे तो निश्चित रूप से मैं उसको लेकर सतर्कता बरतता हू। इससे पता चलता है कि फंड मैनेजर ने जो दांव लगाए, वे सही नहीं पड़े। एग्रेसिव इनवेस्टर को बेहतर प्रदर्शन वाले फंड में शिफ्ट हो जाना चाहिए।’

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