रायपुर। छत्तीसगढ़ में जंगल से गुजरे बिजली तारों की चपेट में आने से 18 वर्ष में 44 हाथियों की मौत हो चुकी है। इसे देखते हुए राज्य की बिजली वितरण कंपनी को वन क्षेत्रों में स्थित बिजली तारों को ऊंचा करने और इंसुलेटर वाले एरियल बंच (एबी) केबल लगाने का निर्देश हुआ है। इस पर करीब 1,674 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बिजली कंपनी यह राशि वन विभाग से वसूलने की कोशिश में थी, लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के निर्देशों का हवाला देते हुए कंपनी को अपने बजट से यह काम करने का निर्देश दिया है।इस पूरे मामले की शुरुआत जनवरी 2018 में हाई कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका से हुई। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने दायर की थी।
सिंघवी ने बताया कि सुनवाई के दौरान बिजली कंपनी की तरफ से कोर्ट में बताया गया था कि कंपनी तारों को ऊंचा करने समेत अन्य उपाय कर रही है। इसके आधार पर कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया। साथ ही कहा कि निराकरण का यह मतलब नहीं है कि बिजली कंपनी चिरनिंद्रा में चली जाए। कोर्ट ने बिजली तारों की ऊंचाई बढ़ाने समेत अन्य उपाय करने का निर्देश दिया था। बिजली कंपनी ने इस पर होने वाले 1,674 करोड़ रुपये के खर्च की भरपाई वन विभाग से मांगते हुए डिमांड नोट (मांग पत्र) जारी कर दिया। 1,674 करोड़ के भारी-भरकम डिमांड नोट से वन विभाग हिल गया, चूंकि राज्य के वन विभाग का बजट इतना नहीं है। इस वजह से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मदद मांगी गई। इस पर मंत्रालय ने बजट देने से मना कर दिया। लेकिन कहा कि यह काम बिजली कंपनी को अपने बजट से करना होगा। मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी के ऐसे प्रकरणों में जारी निर्देश का हवाला देते हुए खर्च बिजली कंपनी को वहन करने का निर्देश दिया है। बिजली कंपनी को करीब 47 सौ किलोमीटर बिजली लाइन की ऊंचाई बढ़ाने के साथ ही एबी केबल लगाना पड़ेगा। इसमें 810 किलोमीटर 33 केवी लाइन और 3976 किलोमीटर एलटी लाइन शामिल है।