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माता कौशिल्या की जन्मतिथि का सही आकलन करके सिद्ध करने वाले को 11 लाख रुपये का पुरस्कार…

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रायपुर। अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर बनाए जाने का विवाद सुलझने के बाद छत्तीसगढ़ में भी रामायणकालीन मुद्दा छाने लगा है। दो दिन पहले दो कांग्रेस विधायकों ने भगवान श्रीराम की माता कौशिल्या के मंदिर का नवनिर्माण कराने के लिए दो लाख 40 हजार रुपये का चेक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंपा था। इसके अगले ही दिन कांग्रेस सरकार की मंशा पर छत्तीसगढ़ में श्रीराम वनवास पदार्पण वाले मार्ग पर राम वनगमन परिपथ बनाए जाने की घोषणा की गई। अब शनिवार को ऐतिहासिक दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने मां कौशिल्या की जन्मतिथि पर प्रतिस्पर्धा आयोजित करने की घोषणा कर दी है। जन्मतिथि का सही आकलन करके सिद्ध करने वाले को 11 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने बताया कि देश भर के ज्योतिषाचार्यों और विद्वानों से सलाह-मशविरा लेंगे। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित आख्यान, पुरातत्व की खुदाई में प्राप्त साक्ष्य, प्राचीन ग्रंथों, जनश्रुति, दंतकथाओं का भी सहारा लिया जाएगा। देश भर से ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले विद्वानों को विविध माध्यमों से सूचित करके ज्योतिष गणना द्वारा भगवान रामचन्द्र की कुंडली के चतुर्थ भाव (मातृ भाव) के आधार पर माता कौशिल्या की जन्मतिथि का निर्धारण एवं जन्मकुंडली तैयार किए जाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। सभी विद्वानों से महत्वपूर्ण जानकारी देने आमंत्रित किया जाएगा। विद्वानों से प्राप्त प्रस्ताव को विशेषज्ञ जजों (जूरी) द्वारा प्रमाणित किया जाएग। प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्वान को नगद राशि 11 लाख रुपए एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। माता कौशिल्या की जन्मतिथि के लिए इच्छुक ज्योतिषाचार्य एवं विद्वान 15 दिसंबर 2019 तक ‘राजे श्री महंत डॉ. रामसुंदर दास महाराज, दूधाधारी मठ पुरानी बस्ती रायपुर” के पते पर पत्राकार किया जा सकता है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी के लिये 7974921927 नंबर पर संपर्क भी किया जा सकता है। पुराणों के अनुसार राजा दशरथ एवं उनकी रानी कौशिल्या पूर्व जन्म में मनु और शतरूपा थीं।

इन्होंने भगवान विष्णु को पुत्र रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न् होकर भगवान विष्णु ने कहा कि त्रेतायुग में मेरा सातवां अवतार राम के रूप में होगा। आप दोनों अयोध्या के महाराजा और महारानी के रूप में होंगे। वाल्मीकि रामायण में छत्तीसगढ़ का वर्णन कौशल प्रदेश के रूप में है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी (प्राचीन नाम चंद्रपुरी) गांव है, जिसे माता कौशिल्या की जन्म स्थली माना जाता है। यहां माता कौशिल्या का देश भर में एक मात्र मंदिर भी है। करीब 126 तालाब वाले इस गांव में सात तालाबों से घिरे जलसेन तालाब के बीच प्राचीन द्वीप पर यह मंदिर है। मंदिर में माता कौशिल्या की गोद में श्रीराम लला की प्रतिमा स्थापित है।

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