साजा ब्लॉक के बीजागोंड गांव में कोदो की फसल चरने के बाद करीब 290 गायें बीमार पड़ गई। जानकारी के मुताबिक एक गाय की मौत हो चुकी है। और 20 से ज्यादा की हालत नाजुक है। हालांकि मौके पर मौजूद पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों ने एक गाय की मौत की पुष्टि करते हुए 8-10 गायों की हालत ही नाजुक होने की बात कही है। गायों की तबियत मंगलवार शाम से ही खराब होनी शुरू हुई। मौके पर मौजूद पशु चिकित्सक डॉ. हेमंत कुमार और नरेंद्र ठाकुर ने बताया कि बेमेतरा के बीजागोंड गांव में गायों के तीन बरदी (झुंड) हैं।
इनमें से दो में शामिल गायों की ही तबियत बिगड़ी है। पता चला है कि इन दो बरदी की गायें कोदो के खेत में चरने गई थीं। डॉ. ठाकुर ने आगे बताया कि मंगलवार देर शाम बीजागोंड गांव के गायों की तबीयत बिगड़ी शुरू हुई। इसका पता चलते ही वे और साजा ब्लॉक के अन्य दो पशु चिकित्सक गांव पहुंच गए और रात साढ़े 10 बजे से इलाज शुरू कर दिया। करीब 290 गायें बीमार पड़ी, हालांकि इनमें से अधिकतर अब रिकवर कर रही हैं। डॉ. ठाकुर ने बताया कि अब भी इलाज चल रहा है। गायों के बीमार पड़ने की वास्तविक कारणों का पता लगाया जा रहा है। प्रथमदृष्टया गायों का कोदो की फसल चरना कारण बताया जा रहा है। लेकिन वास्तविक कारणों का पता लगाया जा रहा है। जिसके लिए राज्य स्तरीय प्रयोगशाला की टीम रायपुर से मौके पर पहुंच गई है। इस टीम ने कोदो की फसल, जानवरों द्वारा पीया जाने वाला पानी, चारा आदि के सैंपल ले लिए हैं। ये सैंपल रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को भी भेज जा सकते हैं। पशु चिकित्सा महाविद्यालय अंजोरा के विशेषज्ञों की टीम भी मौके पर पहुंची।
बताया जा रहा है कि जिस कोदो के खेत में गायें चरी हैं वहां फसल ठीक न होने से किसान ने इस काटने की बजाय इसे नष्ट करने के लिए खरपतवार नाशक का छिड़काव किया था। जिसकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में गायें बीमार पड़ी हैं। हालांकि इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। बेमेतरा के उपसंचालक, पशुचिकित्सा डॉ. राजेंद्र भगत ने भी बताया कि प्रथमदृष्टया पॉइजनिंग की वजह गायों का कोदो के खेत में चरना है। आशंका है कि कोदो की फसल पर कीट व खरपतवार नाशक का छिड़काव होने से गायों को विषबाधा हुई होगी। खेत मालिक ने बताया है कि उसने दो माह पूर्व फसल पर दवा का छिड़काव किया था। वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए गांव से पानी, चारा, कोदो की फसल आदि के सैंपल लिए गए हैं। इन्हें रायपुर भेजा जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि गायों को चराने चरवाहे ने कोदो के खेत मे लेकर गया था। जहां से फसल अवशेष को चरा कर लाया। फिर शाम होते ही सभी की हालत बिगड़ने लगी। साजा पशु चिकित्सक डॉ. नागेंद्र ठाकुर ने कहा कि खून का सैम्पल लिया गया है। जांच के बाद बीमारी का वास्तविक कारण का पता चल पाएगा। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि खेतों में कीटनाशक के छिड़काव के कारण या फिर किसी गड्ढे में कीटनाशक दवाओं के डिब्बों को धोया होगा या फिर गड्डे के पानी मे कीटनाशक दवाओं का असर होना भी हो सकता है।