बिलासपुर। बिलासपुर में 72 घंटे की छानबीन के बाद मेरठ जीआरपी ने पुरी- हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस से गांजा तस्करी करने वालों की पहचान कर ली है। इसमें मेरठ के ही दो ऊनी कपड़े के व्यापारियों की संलिप्तता है। इस अहम जांच के बाद अब तीन सदस्यीय जांच लौटने की तैयारी कर रही है। मेरठ पहुंचने के बाद तस्करों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई होगी। मेरठ के रेलवे पार्सल कार्यालय से नौ अक्टूबर को आठ पैकेट की जांच करने पर 61 किलो गांजा बरामद हुआ था। इस मामले में जीआरपी ने मामला पंजीबद्ध किया। इसके बाद छानबीन में जुट गई।
नौ नवंबर को सब इंस्पेक्टर राजीव मलिक के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बिलासपुर पहुंची। जीआरपी में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद जांच में सहयोग मांगा। टीम ने यहां पहुंचने के बाद एक- एक पहलुओं को देखा और जिनकी जरा सी संलिप्तता नजर आई। उनसे पूछताछ की गई। रेलवे पार्सल कार्यालय का नियमित ग्राहक चंद्रशेखर यादव, कमर्शियल सुपरवाइजर एएच खान, पार्सल प्रभारी से लेकर अन्य सभी को पूछताछ के लिए तलब किया गया। उनके बयान भी दर्ज किए। आरपीएफ व जीआरपी से भी जानकारी ली गई। लगातार पड़ताल के बाद बिलासपुर में ही असल आरोपितों का सुराग मिला। यहां की जांच पूरी होने के बाद जांच टीम के प्रभारी व सब इंस्पेक्टर राजीव मलिक ने पत्रकारों से चर्चा की।
इस दौरान ही उन्होंने खुलासा किया कि यह तस्करी मेरठ निवासी व ऊनी कपड़े के व्यापारी राकेश चौधरी व इंतजार कुरैशी ने की थी। दोनों कपड़े बेचने के धंधे की आड़ में इस गैरकानूनी कार्य को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि अभी जांच शेष है और कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलने हैं। इसलिए उन्होंने यह खुलासा नहीं कि आरोपितों की पहचान कैसे हुई। उन्होंने यह जानकारी देने से साफ इन्कार कर दिया। केवल इतना बताया कि दोनों व्यापारी का मोबाइल नंबर लेकर ट्रेस भी कर लिया गया है। यहां से लौटने के बाद रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी जाएगी। इसके साथ ही आरोपितों की गिरफ्तारी भी की जाएगी। मेरठ निवासी दोनों आरोपितों की ओडिशा में दुकान है। इसके अलावा कपड़े बेचने के लिए फेरी भी लगाते हैं। ओडिशा में उनकी सक्रिय गतिविधियों के कारण ही दोनों इस गांजा तस्करी के कार्य में शामिल हो गए। उनकी गिरफ्तारी के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि गांजा तस्करी व कितने साल से कर रहे हैं व दो के अलावा और कितने लोग शामिल हैं।